नोटबंदी का नकारात्मक असर अल्पकालिक : रेटिंग एजेंसियां
चेन्नई, 1 नवंबर (आईएएनएस)| वैश्विक और घरेलू रेटिंग एजेंसियों का कहना है कि नोटबंदी का भारतीय अर्थव्यस्था पर नकारात्मक असर अल्पकालिक है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा मंदी का थोड़ा बहुत कारण वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को जुलाई से लागू करना भी है।
फिंच रेटिंग के निदेशक (सॉवरिन एंड सप्रैशनल्स ग्रुप) थॉमस रूकमाकेर का कहना है, नोटबंदी का उद्देश्य जहां काले धन पर काबू पाना था। लेकिन नकदी की कमी के कारण मार्च तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि दर प्रभावित रही।
रेटिंग एजेंसियों के विश्लेषकों के मुताबिक दूसरी तिमाही में विकास दर एक बार फिर रफ्तार पकड़ेगी।
केयर रेटिंग्स की वरिष्ठ अर्थशास्त्री कविता चाको ने आईएएनएस को बताया, नोटबंदी एक प्रमुख संरचनात्मक बदलाव है जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था गुजरी है। इसके कारण मांग और आपूर्ति पर प्रभाव पड़ा और समूची अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई।
चाको ने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 के जीडीपी के तिमाही आंकड़ों (अक्टूबर-दिसंबर) में तेज गिरावट दर्ज की गई।
उन्होंने कहा, वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर साल-दर-साल आधार पर 7 फीसदी से घटकर 6.1 फीसदी रही, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में इसमें और गिरावट दर्ज की गई और यह 5.7 फीसदी पर आ गई, जो पिछले पांच सालों की सबसे बड़ी गिरावट है।
वहीं, रूकमाकेर का कहना है, तथ्य यह है कि 99 फीसदी बैंक नोट आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) के पास वापस आ गए, जिससे यह पता चलता है कि काले धन को मिटाने में नोटबंदी प्रभावी साबित नहीं हुई है और इससे असंगठित क्षेत्र का कारोबार प्रभावित हुआ।
उन्होंने कहा, जीएसटी को लागू करने से असंगठित व्यापार को संगठित क्षेत्र से जोड़ने में मदद मिलेगी, क्योंकि यह छोटे उद्योगों को भी कर के दायरे में लाएगा।
रूकमाकेर के मुताबिक साल की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था सुधरेगी। उन्होंने कहा, यह अभी भी अनिश्चित है कि नोटबंदी का विकास दर पर अभी कितना असर पड़ेगा। लेकिन दूसरी छमाही में सुधार होगा, क्योंकि अगस्त में औद्योगिक उत्पादन में तेजी आई है।
स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) ग्लोबल रेटिंग्स के निदेशक (कॉरपोरेट रेटिंग समूह) अभिषेक डांगरा ने आईएएनएस को बताया, हम मानते हैं कि रियल एस्टेट और रत्न व आभूषण क्षेत्र को छोड़कर अधिकांश क्षेत्रों में नोटबंदी का स्थायी प्रभाव नहीं है।
फिच के निदेशक (वित्तीय संस्थान) सास्वत गुहा ने कहा कि बैंकों ने तरलता (नगदी जमा होने से) में बढ़ोतरी का पूरा फायदा नहीं उठाया।
गुहा ने आईएएनएस से कहा, नोटबंदी से बैंकों की नकदी बढ़ी, लेकिन कर्ज उठाने का कारोबार कमजोर है, इसलिए इसका बैकों को लाभ नहीं मिल रहा।