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पंजाब में पुआल जलाने की गतिविधि 30 फीसदी घटी

नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)| पंजाब सरकार ने सोमवार को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) को बताया कि राज्य में पुआल (फसल के अवशेष) जलाने की गतिविधि में पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी गिरावट आई है।

न्यायाधिकरण ने इस महीने की शुरुआत में पंजाब सरकार पर किसानों को प्रोत्साहित नहीं करने को लेकर लताड़ लगाई थी और उन्हें पुआल का प्रबंधन करने में मदद करने के लिए कहा था। पुआल का भार 3.5 करोड़ टन होने का अनुमान है, जिसे किसान सर्दियों और गर्मियों में फसलों के बीच अंतर बनाने के लिए आग के हवाले कर देते हैं।

न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ को पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने बताया, इस साल पुआल जलाने के 14,432 मामले सामने आए हैं, जबकि 2016 में इनकी संख्या 22,269 थी।

न्यायाधिकरण ने केंद्र सरकार से पुआल जलाने के खिलाफ किसानों को प्रोत्साहित करने पर स्पष्टीकरण मांगा है।

इस महीने की शुरुआत में पंजाब सरकार ने किसानों को समर्थन देने के लिए केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता के रूप में 2,000 करोड़ रुपये की मांग की थी। यह मदद किसानों के खेतों में पड़े धान के पुआल को हटाने के लिए मांगी गई थी, ताकि इसे जलने से बचाया जा सके।

एनजीटी ने पहले फसल को जलाने को लेकर पर्यावरण जुर्माना राशि तय की थी। जिसमें दो एकड़ से कम जमीन वाले छोटे भूस्वामियों पर 2,500 रुपये, दो एकड़ जमीन से लेकर पांच एकड़ वाले मझोले भूस्वामियों पर पांच हजार रुपये और पांच एकड़ से अधिक जमीन वाले किसानों पर 15,000 रुपये की जुर्माना राशि तय की गई थी।

पड़ोसी राज्यों में फसल के अवशेष जलाने से इसका सीधा प्रभाव दिल्ली में हवा की गुणवत्ता पर पड़ रहा है, जो बिगड़ती ही जा रही है।

एनजीटी ने 2015 में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से इस परंपरा को रोकने के लिए कहा था। बाद में एनजीटी ने सरकारों से छोटे किसानों को फसल के अवशेषों का प्रबंधन करने के लिए प्रोत्साहित करने को कहा था।

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