भगिनी निवेदिता ने स्वच्छता फैलाने में मदद की : मोदी
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को भगिनी निवेदिता को ‘असाधारण व्यक्ति’ करार दिया।
मोदी ने कहा कि निवेदिता ने स्वच्छता के महत्व और मानवता के लिए सेवा के संदेश को फैलाया। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से निवेदिता को उचित श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी जिंदगी के कुछ अंशों से सबक लेने का आग्रह किया। निवेदिता की 150वीं जयंती शनिवार को थी।
उन्होंने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा, मेरे प्रिय देशवासियों, हमारी पवित्र भूमि पर महान आत्माओं ने नि:स्वार्थ भाव से मानवता की सेवा की है। सिस्टर निवेदिता को भगिनी निवेदिता के नाम से जाना जाता है, जो एक आसाधारण व्यक्ति थीं। उन्होंने अपने काम के जरिए स्वच्छता के महत्व और मानवता की सेवा के संदेश को फैलाया।
भगिनी निवेदिता का जन्म आयरलैंड में 28 अक्टूबर 1867 को हुआ था। उनका नाम पहले मार्गरेट एलिजाबेथ नोबल था। उन्हें निवेदिता नाम स्वामी विवेकानंद ने दिया था। निवेदिता का मतलब ‘पूरी तरह से सर्मपित’ है।
मोदी ने कहा, उन्होंने अपने नाम से ही खुद को साबित किया है।
उन्होंने कहा, 1899 में कोलकाता में एक महामारी फैली और एक क्षण में सैकड़ों जिंदगी को लील गई। सिस्टर निवेदिता ने बिना अपने स्वास्थ्य की चिंता किए हुए सड़कों और गड्ढों को साफ करना शुरू कर दिया। वे एक ऐसी महिला थीं, जो आराम की जिंदगी जी सकती थीं, लेकिन उन्होंने खुद को गरीबों की सेवा के लिए सर्मपित कर दिया। वह अपने त्याग के लिए के लिए प्रेरणास्रोत बन गईं। लोगों को आगे आना चाहिए और उनके मिशन से जुड़ना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह ब्रिटिश शासन के अत्याचारों को महसूस करती थीं। उन्होंने लोगों में राष्ट्रीयता की भावना जगाने का प्रयास किया।
मोदी ने उन्हें तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती की प्रेरणा बताया। भारती ने उनसे प्रभावित होकर एक क्रांतिकारी कविता ‘पुधुमाई पेन’ (न्यू वूमन) लिखी थी। उन्होंने कहा, निवेदिता ने महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस को उनके शोधग्रंथ के प्रकाशन में भी मदद की थी।
मोदी ने कहा, यह भारत की अनूठी सुंदरता है कि आध्यात्मिकता और विज्ञान एक-दूसरे के पूरक हैं।