कोच मनप्रीत के दंभ के कारण हुई गुजरात की हार
चेन्नई, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| वीवो प्रो कबड्डी लीग के पांचवें सीजन का खिताब पटना पाइरेट्स के नाम रहा। लीग स्तर पर दो बार पटना को मात देने वाली गुजरात फार्च्यूनजाएंट्स टीम को पटना ने फाइनल में बुरी तरह हराया।
फाइनल मैच के बाद मनप्रीत ने अपनी हार स्वीकार की, लेकिन पटना के कोच राम मेहर सिंह ने यहां तक कह डाला कि मनप्रीत के दंभ के कारण गुजरात को आज यह दिन देखने को मिला है।
यहां बताना जरूरी है कि लीग स्तर पर पटना और गुजरात के बीच दो मुकाबले हुए थे, जिसमें गुजरात ने बाजी मारी थी। पटना और गुजरात की टीमें 29 सितम्बर को इंटर जोन चैलेंज वीक में चेन्नई में भिड़ी थीं, जिसमें गुजरात ने 30-29 से बाजी मारी थी। इसके बाद दोनों टीमें इंटर जोन वाइल्ड कार्ड मैच में आठ अक्टूबर को जयपुर में एक बार फिर भिड़ीं, जिसमें गुजरात ने पटना को 33-29 से हराया था। इन दोनों मैचों में गुजरात के डिफेंडरों ने प्रदीप नरवाल को सुपर-10 नहीं हासिल करने दिया था। चेन्नई में प्रदीप सिर्फ पांच अंक हासिल कर सके थे, जबकि जयपुर में प्रदीप को सिर्फ चार अंक मिले थे।
प्रदीप ने हालांकि शनिवार को मनप्रीत की रणनीति से उलट 19 अंक बटोरे और अपनी टीम को खिताबी हैट्रिक तक पहुंचाया। मनप्रीत के लिए सबसे दुखदायक यह रहा कि उनके दो स्टार डिफेंडर कप्तान फजल अतराचली और अबोजर मोहाजेरमिघानी इस मैच में बिल्कुल नहीं चले। राइट और लेफ्ट आउट में गुजरात की डिफेंस के दो पिलर बुरी तरह धराशायी हो गए। इसका कारण यह था कि राम मेहर सिंह की बदली हुई रणनीति ने प्रदीप को नए सिरे से हमले का मौका दिया और उन्होंने एक के बाद एक 19 अंक अपने नाम किए। इस मैच में प्रदीप ने कुल 23 रेड किए।
इस मैच से पहले आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मनप्रीत ने कहा था कि वह प्रदीप को बिल्कुल नहीं चलने देंगे और प्रदीप तथा मोनू गोयत को रोकने के लिए उनके पास तीन प्लान-ए, बी और सी हैं। वह सी से शुरुआत करेंगे और ए तक जाएंगे। मैच के बाद मनप्रीत ने स्वीकार किया कि राम मेहर की बदली हुई रणनीति के कारण उनकी टीम का सबसे मजबूत पक्ष-डिफेंस ही नाकाम रहा, जबिक उनके रेडरों ने अच्छा खेल दिखाया और 27 अंक अपने नाम किए। गुजरात का डिफेंस सिर्फ पांच अंक हासिल कर सका। पटना के डिफेंस ने फिर भी अच्छा प्रदर्शन किया और कुल 13 अंक जुटाते हुए अपने रेडरों को मनोबल प्रदान किया।
राम मेहर सिंह ने मैच के बाद कहा कि लीग स्तर पर दो मैचों में पटना को हराने के बाद मनप्रीत के मन में इतना दंभ हो गया था कि उसने न सिर्फ उन्हें चुनौती दी, बल्कि उसने उस खिलाड़ी (प्रदीप) को भी चुनौती दी, जो आज की तारीख में देश में कबड्डी का सबसे बड़ा दूत है और जो किसी भी टीम के डिफेंस को भेद सकता है और फिर उस खिलाड़ी में जरा भी दंभ नहीं है।
राम मेहर ने कहा, फाइनल से पहले मनप्रीत ने मेरे और मेरे खिलाड़ियों के खिलाफ काफी आग उगला है। वह दंभी बन गया था। उसे लगता था कि वह अजेय है। उसे नहीं पता था कभी रावण ने भी खुद को अजेय समझा था, लेकिन दंभ के कारण उसका सत्यानाश हो गया था। मनप्रीत ने मुझे चुनौती दी, जबकि मैं ही उसे राष्ट्रीय टीम में लेकर आया था और यही नहीं, उसने प्रदीप को चुनौती दी, क्योंकि वह मानता है कि प्रो कबड्डी में प्रदीप उसी की देन है। उसे कहा था कि-बाप तो बाप रहेगा। यह एक खिलाड़ी को शोभा नहीं देता। यह खेल है और इसमें एक टीम को हारना ही है, लेकिन जो शालीनता से रहते हैं, उनके हारने के बाद विपक्षी भी सम्मान करते हैं। मनप्रीत ने ऐसा नहीं किया और उसका हश्र आप देख रहे हैं। वह दंभ के कारण खिताब तक पहुंचकर भी उससे दूर रह गया।
मनप्रीत को इस बात का आभास हो गया था कि उसके दंभ के कारण ही गुजरात को हार मिली। यही कारण है कि उसने फाइनल के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कबड्डी के बारे में अच्छी बातें लिखने की वकालत की। दूसरी ओर, राम मेहर ने कहा कि उनकी इच्छा थी कि दोनों कोचों को एक साथ एक ही मंच पर बैठाया जाए, जिससे कि वह करीब से मनप्रीत की आंखों में झांककर उसका दंभ टूटते हुए देख सकें। राम मेहर काफी आहत दिख रहे थे और लगातार बोले जा रहे थे। उनकी बातों में दर्द था, जबकि मनप्रीत सवालों से भागते नजर आए।