शिवराज को ‘वाशिंगटन’ में ‘विदिशा’ का भ्रम तो नहीं हो गया!
भोपाल, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)| एक बड़े नेता और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री के पास जो भी आता, वह चरण स्पर्श करता। हाल ये हुआ कि मंत्री हर व्यक्ति से यही अपेक्षा करने लगे।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के वाशिंगटन की सड़कों को लेकर दिए गए बयान से यही अहसास होता है कि शिवराज शायद यह भूल गए होंगे कि वह विदिशा में नहीं, बल्कि वाशिंगटन में हैं।
भोपाल के व्यवसायी महेश द्विवेदी कहते हैं कि शिवराज का बयान ठीक वैसा ही है, जैसा यहां के ऑटो रिक्शा के पीछे लिखा होता है- ‘नीम का पेड़ चंदन से कम नहीं, मप्र की सड़कें लंदन से कम नहीं।’ मुख्यमंत्री ने सड़कों पर सफर कम किया है, इसलिए उन्हें हकीकत पता नहीं है।
मुख्यमंत्री शिवराज ने मंगलवार को वाशिंगटन में यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक फोरम द्वारा निवेशकों के साथ चर्चा के दौरान कहा था, जब मैं वाशिंगटन के हवाईअड्डे पर उतरने के बाद सड़क मार्ग से गया तो मुझे लगा कि मध्यप्रदेश की सड़कें अमेरिका से कहीं अधिक बेहतर हैं।
शिवराज का यह बयान वायरल क्या हुआ, राज्य में राजनीतिक हलकों के साथ आम समाज में हलचल मच गई। कुछ समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर बड़े-बड़े गड्ढों के साथ राजधानी भोपाल की सड़कों की तरह-तरह की तस्वीरें आने लगीं।
इसके साथ जो कमेंट्स आए, वे सड़कों से लोगों को होने वाली परेशानी बयां करने वाले थीं। राज्य की कई तस्वीरें तो ऐसी आईं, जिनमें सड़कें कम और गड्ढे ज्यादा दिखाई दे रहे हैं।
समाज-शास्त्रियों की मानें तो उनका अनुभव है कि जब कई बार लोग नेताओं की पीठ नहीं थपथपाते, तो वह स्वयं ही इस काम में लग जाता है। शिवराज के साथ भी यही कुछ हुआ होगा। यही कारण है कि वह वाशिंगटन में अमेरिका से मध्यप्रदेश की सड़कों को बेहतर बता गए। यह एक तरह का मतिभ्रम है। हां, ये बात सही है कि शिवराज के काल में कई सड़कों की हालत सुधरी है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की 13000 किलोमीटर सड़कें खराब हैं। इनमें शहरी और भोपाल सहित सात संभागों की सड़कों का बड़ा हिस्सा शामिल है। राष्ट्रीय और राज्य मार्गो का हाल भी बेहतर नहीं है।
इतना ही नहीं, केंद्रीय परिवहन मंत्रालय द्वारा मार्च 2017 में राज्यसभा में 2015 की जो रिपोर्ट पेश की गई थी, उसमें बताया गया है कि राज्य में सालभर में 3070 सड़क हादसे गड्ढों की वजह से हुए। हादसों में मरने वाला हर दसवां व्यक्ति मध्यप्रदेश का है।
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. रूमा भट्टाचार्य का मानना है, हम हों या आप, जब बहुत ज्यादा यात्रा करते हैं तो हवाईअड्डे पर यह भूल ही जाते हैं कि किस शहर के हवाईअड्डे पर हैं, क्योंकि अमूमन सभी हवाईअड्डे एक जैसे ही होते हैं। ठीक यही हाल नेताओं के साथ भी होता है, वे हर रोज कई-कई घंटे बोलते हैं, इसी के चलते कई दफा ‘डीरेल’ हो जाते हैं।
शिवराज गए तो थे मध्यप्रदेश की छवि बनाने के लिए, मगर उनके एक बयान से न केवल उनकी छवि पर असर पड़ा है, बल्कि मध्यप्रदेश भी चर्चाओं का केंद्र बन गया है। सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें आ रही हैं उससे राज्य की बदनामी भी कम नहीं हो रही है!
विपक्षी कांग्रेस ने शिवराज की राजनयिक वीजा रद्द करने की मांग तक कर दी है। एक कांग्रेस नेता ने तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पत्र भेजकर शिवराज पर कार्रवाई की मांग की है, क्योंकि यह अमेरिका का अपमान है।