राष्ट्रीय

कश्मीर समस्या के लिए वार्ता प्रतिनिधि नियुक्त

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने कश्मीर मुद्दे पर अपने तल्ख तेवर में अचानक बदलाव करते हुए सोमवार को जम्मू एवं कश्मीर में वार्ता प्रक्रिया की शुरुआत और खुफिया ब्यूरो(आईबी) के पूर्व निदेशक दीनेश्वर शर्मा को सभी साझेदारों के साथ वार्ता के लिए वार्ता प्रतिनिधि बनाया है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, अपनी नीति में ढृढ़ विश्वास और स्थिरिता को आगे बढ़ाते हुए, हमने निर्णय किया है कि जम्मू एवं कश्मीर में निरंतर वार्ता प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर शर्मा जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं को समझने के लिए निरंतर संवाद और वार्ता की पहल करेंगे। वह निर्वाचित प्रतिनिधियों, राजनीतिक पार्टियों, अन्य संगठनों व व्यक्तियों से मुलाकात करेंगे।

सिंह ने कहा, समाज के सभी धड़े से निरंतर वार्ता और संवाद किया जाएगा और जम्मू एवं कश्मीर के लोगों खासकर युवाओं की वैध आकांक्षाओं को समझने का प्रयास किया जाएगा। अब हम जो भी जम्मू एवं कश्मीर के लिए करेंगे, पूरे साफ इरादे से करेंगे।

यह पूछे जाने पर कि क्या कैबिनेट स्तर के वार्ता मध्यस्थ हुर्रियत नेताओं से बातचीत करेंगे। इस पर उन्होंने ऐसी संभावनाओं को पूरी तरह से दरकिनार न करते हुए कहा, शर्मा को सभी के साथ वार्ता करने का निर्देश है, वह जिसके साथ भी चाहें बातचीत कर सकते हैं।

केंद्र सरकार हाल के महीनों में कश्मीर पर सख्त रुख अख्तियार किए हुए थी और अलगाववादियों से बातचीत की संभावनाओं को खारिज करती रही थी।

गृहमंत्री ने कहा कि कार्य समाप्त होने के बाद शर्मा केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौपेंगे। शर्मा 1 जनवरी 2015 से 31 दिसंबर 2016 तक आईबी के निदेशक थे। 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी शर्मा को सुरक्षा और कश्मीर मामलों का जानकार माना जाता है।

इससे पहले वह वर्ष 2003 से 2005 के बीच आईबी के इस्लामिक आतंकवाद डेस्क के संयुक्त निदेशक रह चुके हैं।

एक प्रश्न के जवाब में सिंह ने कहा कि इसके लिए कोई तय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। यह तीन महीने की होगी या छह महीने की होगी यहा फिर इससे अधिक समय की, अभी समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। वह जिससे चाहें, बातचीत कर सकते हैं।

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर समस्या का हल तलाशने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से बातचीत की है।

उन्होंने कहा, लोग हमसे कहते हैं कि वार्ता प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। हम ऐसा कर रहे हैं।

उन्होंने 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के लाल किले के प्राचीर से दिए भाषण को याद करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि न ही गोली, न ही गाली से बल्कि जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को गले लगाकर वहां की समस्या सुलझाया जा सकता है।

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