राष्ट्रीय

स्कूलों में मातृ भाषा के लिए व्यावहारिक नीति आवश्यक : नायडू

अहमदाबाद, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)| उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने भाषाओं को समाज की आत्मा करार देते हुए शनिवार को कहा कि स्कूलों में प्रारंभिक स्तर पर मातृ भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यावहारिक नीति होनी चाहिए।

‘भारतीय भाषाओं की यात्रा : संस्कृति एवं समाज के परिप्रेक्ष्य में’ विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए नायडू ने कहा, हमें स्कूली शिक्षा के शुरुआती चरणों में मातृ भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यावहारिक नीति की जरूरत है।

सम्मेलन का आयोजन बी.आर. अंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय (बीएओयू) और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय(इग्नू) ने यहां आयोजित किया था।

नायडू ने कहा कि भाषा मानव अस्तित्व को एक सूत्र में पिरोने का काम करती है और यह आदिकाल से विचारों, भावनाओं को जाहिर करने का एक साधन रहा है।

उन्होंने कहा, हमारा समाज इस तथ्य की मान्यता पर खड़ा हुआ है कि भाषा किसी संस्कृति का जीवन रस और सभ्यता की ईंट है। किसी संस्कृति की समृद्धि उसकी शब्दावली, वाक्य विन्यास से स्पष्ट होती है।

गुजरात के शिक्षामंत्री भूपेंद्रसिंह चूडासामा, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के प्रधान सचिव अनुज शर्मा, बीएओयू के कुलपति पंकज वानी, और इग्नू के कुलपति रवींद्र कुमार भी इस मौके पर उपस्थित थे।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close