रोहिंग्या की पृष्ठभूमि को समझना होगा : संघ
भोपाल, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) म्यांमार से भगाए गए रोहिंग्या मुसलमानों के भारत की सीमा पर जमे होने पर चिंतित है। संघ के सर कार्यवाह सुरेश (भैयाजी) जोशी ने कहा है कि इन रोहिंग्याओं की पृष्ठभूमि को समझना होगा कि उन्हें वहां (म्यांमार) से क्यों बाहर किया गया है। राजधानी के शारदा विहार आवासीय विद्यालय परिसर में शनिवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए जोशी ने कहा, रोहिंग्या मुसलमान एक गंभीर चिंता का विषय है, यह सोचा जाना चाहिए कि उन्हें म्यांमार से बाहर क्यों किया जा रहा है, क्योंकि दुनिया के किसी भी देश की सरकार द्वेषमूलक कदम नहीं उठाती, जब म्यांमार की सरकार को लगा कि इनके कारण समस्या खड़ी हो रही है, तब उन्हें निष्कासित किया गया।
जोशी ने आगे कहा, रोहिंग्याओं को निष्कासित होने के बाद कहीं और आसरा नहीं मिला, उनके पड़ोस में चीन, इंडोनेशिया था, वे वहां तो गए नहीं और भारत की सीमा में आ गए। इसकी समीक्षा करना पड़ेगी कि उन्हें वहां से पलायन क्यों करना पड़ा। उसके बाद ही किसी देश को अपनी नीति बनानी चाहिए।
पूर्व में आए शरणार्थियों का जिक्र करते हुए जोशी ने बताया, भारत की परंपरा है कि हमने ऐसे निर्वासित लोगों को कभी ठुकराया नहीं है, पारसी लोगों का इतिहास है। भारत ने कभी द्वेषमूलक व्यवहार नहीं किया है। ऐसे लोग आते हैं तो कश्मीर और हैदराबाद में बसते हैं। आने वाले लोगों की पृष्ठभूमि समझे बिना प्रवेश दिया गया तो वह देश के लिए खतरा हो सकता है।
जोशी ने पूर्व की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि जो लोग आए, उनके परिचयपत्र बन गए, पैनकार्ड बन गए, मतदाता सूची में नाम जुड़ गए, इससे लगता है कि वे आश्रय के लिए नहीं आए, बल्कि किसी योजना या यूं कहें कि षड्यंत्र के तहत यहां आए हैं।
उन्होंेने कहा, इसमें हमारी व्यवस्था की भी चूक है। दुनिया के देशों में सामान्य तौर पर नियम होता है कि जो आते हैं, उनका सीमा पर लेखाजोखा दर्ज कर, वापस जाने का समय तय किया जाता है।
जोशी ने कहा, हमारी परंपरा रही है, मानवता के आधार पर बाहर से आए हुए लोग भूखे न रहें। ऐसा हम नहीं चाहते, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें शीघ्रता से उनके स्थान पहुंचाना चाहिए। उनके आने से देश में अशांति होती है तो यह गंभीर चिंता का विषय है। जो लोग उनका समर्थन कर रहे हैं, वे किस पृष्ठभूमि से हैं यह भी समझना पड़ेगा।