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नोटबंदी से लोग बर्बाद नहीं हुए तो जीएसटी ले आए मोदी : राहुल

लिमखेड़ा(गुजरात)। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि उन्होंने ‘एकतरफा और मनमाने’ तरीके से नोटबंदी लागू कर काला धन रखने वालों को अपने पैसे सफेद करने में मदद की।

मध्य गुजरात के दाहोद जिले के लिमखेड़ा शहर में एक विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा, “मोदीजी को यह अहसास हुआ कि नोटबंदी से आम लोग और छोटे व्यापारी पूरी तरह बर्बाद नहीं हुए हैं। इसलिए उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लाने का फैसला किया।”

राहुल ने जनसमूह की तरफ से उठ रहे ठहाकों के बीच कहा, “उन्हें अचानक आधी रात को 500 और 1000 रुपये के नोट से नफरत हो गई, इसलिए उन्होंने उन्हें रद्द कर दिया।”

राहुल ने बार-बार मोदी शब्द दोहराते हुए सवाल किया कि क्या कभी मोदी ने किसानों, मजदूरों, और छोटे व्यापारियों से पूछा कि वे कैसे अपना काम करते हैं : नगदी से या क्रेडिट कार्ड से।

राहुल ने कहा, “कांग्रेस ने उनसे आग्रह किया कि जीएसटी पर धीरे आगे बढ़िए, उनसे अनुरोध किया कि इतने अधिक स्लैब मत रखिए और इसे भारी-भरकम नहीं बनाइए। लेकिन उन्होंने और (वित्तमंत्री अरुण) जेटली जी ने ‘ना’ कह दिया। वे हमारी नहीं सुनेंगे।”

उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी की ओर इशारा करते हुए कहा, “इस तरह के परिदृश्य में जब पूरा देश दो सदमों से जूझ रहा है, एक नई कंपनी का जन्म होता है।

एक समाचार वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2014 में मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद इस कंपनी का कारोबार 16,000 गुना बढ़ जाता है।”

उन्होंने आश्चर्य जताया कि कैसे एक 50,000 की कंपनी का कारोबार कुछ ही महीनों में 80 करोड़ हो जाता है और इस तरह के चमत्कारिक लाभ के बाद अचानक यह कंपनी बंद हो जाती है।

गांधी ने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा, “जब मोदीजी प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने कहा था, मैं प्रधानमंत्री नहीं चौकीदार हूं। तो अब चौकीदार चुप क्यों है? कहां गया चौकीदार?”

गांधी यहां चुनाव प्रचार अभियान के दूसरे चरण में तीन दिवसीय दौरे के अंतिम दिन लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इससे पहले गुजरात के सौराष्ट्र में 25 से 27 सितंबर के बीच तीन दिन की यात्रा की थी।

कांग्रेस नेता ने कहा कि जब नरेंद्र मोदी यहां के मुख्यमंत्री थे और उसके बाद भाजपा सरकार ने लोगों की मूलभूत जरूरतों जैसे स्वास्थ्य एवं शिक्षा की कीमत पर राज्य का ‘बहुमूल्य धन एवं संसाधन’ उद्योगपतियों पर खर्च कर दिया। उन्होंने कहा, “यही गुजरात मॉडल है। यही अच्छे दिन है, लेकिन सिर्फ मोदीजी और शाहजी के लिए, बाकी देश के लिए नहीं।”

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