गोधरा कांड : 11 दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली
अहमदाबाद, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| गुजरात उच्च न्यायालय ने 2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में आग लगाए जाने के मामले में मृत्युदंड का सामना कर रहे 11 दोषियों की सजा सोमवार को उम्रकैद में बदल दी। गोधरा कांड में 59 कारसेवक मारे गए थे। उच्च न्यायालय ने इस फैसले के साथ ही नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन राज्य सरकार को भी खरी-खोटी सुनाई और कहा कि राज्य सरकार राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम रही थी और न्यायालय ने मारे गए प्रत्येक कारसेवक के परिवार को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने का भी सरकार को निर्देश दिया है।
अयोध्या से आ रही साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन पर हुए हमले के बाद गुजरात भर में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिसमें करीब 1,000 लोग मारे गए थे।
इस मामले में कुल 130 लोग आरोपी बनाए गए थे, जिनमें से 94 पर हत्या और साजिश रचने का मुकदमा चला। इनमें से 63 को एसआईटी की एक विशेष अदालत ने 2011 में बरी कर दिया था और 31 लोगों को दोषी करार दिया था, जिनमें से 11 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
इस फैसले को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई, जिसने इस याचिका पर सुनवाई की और ढाई साल तक सजा को स्थगित रखा।
उच्च न्यायालय ने बरी किए गए 63 लोगों पर फैसले में बदलाव करने से मना कर दिया और फैसला सुनाने में हुई देरी के लिए अफसोस जाहिर किया।
साबरमती एक्सप्रेस में हुई आगजनी के शिकार हुए लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विजय पटेल ने अदालत में संवाददाताओं को बताया, जांच में कुछ विसंगतियां मालूम पड़ रही हैं। जिस तरह से इस मामले की जांच की गई, उसमें कुछ नहीं किया जा सकता, यहां तक कि अदालत अगर इस घटना में कुछ साजिश पाती तो भी नहीं, हमें कड़ी सजा की उम्मीद थी।