बिहार : उपग्रह डेटा आधारित फसल बीमा से किसानों को आस
मुजफ्फरपुर, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| बाढ़ग्रस्त बिहार में अंतर्राष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान (आईडब्लूएमआई) ने सूचकांक आधारित बाढ़ बीमा (आईबीएफआई) के साथ बाढ़ प्रभावित किसानों की मदद करने की अपने तरह की पहली शुरुआत की है।
यह उपग्रह डेटा के साथ उन्नत मॉडलिंग तकनीक का उपयोग कर प्रभावित लोगों को त्वरित बीमा भुगतान करने में सक्षम बनाता है।
कोलंबो स्थित आईडब्ल्यूएमआई के भारतीय प्रतिनिधि आलोक के. सिक्का
ने कहा, हम मुजफ्फरपुर के कुछ गांवों में आईबीएफआई के साथ बाढ़ से प्रभावित किसानों की मदद करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसा बिहार में ही नहीं बल्कि देश में पहली बार हो रहा है। उपग्रह डेटा का प्रयोग कर बाढ़ग्रस्त किसानों को बीमा प्रदान करना इससे पहले कभी नहीं किया गया।
सिक्का ने कहा कि गायघाट ब्लॉक के गांवों में 200 से अधिक खेती करने वाले परिवारों को इस आईबीएफआई योजना के तहत जुलाई में एक पायलट अभियान के लिए चुना गया था। इन किसानों में ज्यादातर सीमांत किसान हैं जिनकी अक्टूबर के अंत या नवंबर के शुरू में बाढ़ के कारण फसल खराब हो गई थी, वह बीमा धन प्राप्त कर सकते हैं।
सिक्का ने कहा, हम आईबीएफआई का प्रयोग कर यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह ग्रामीण आजीविका की सुरक्षा के लिए अधिक विश्वसनीय तरीका है।
गैर लाभकारी संस्था आईडब्ल्यूएमआई की एक टीम विकासशील देशों में पानी और भूमि संसाधनों के स्थायी उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर रही है, बाढ़ के जलस्तर में गिरावट आने के बाद जमीनी स्तर से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने के लिए शुक्रवार को टीम किसानों से मिली और किसानों को आश्वासन दिया कि वे अपने बीमा के पैसे प्राप्त कर सकेंगे।
आईडब्ल्यूएमआई के कम्युनिकेशन एंड नॉलेज मैनेजमेंट के वरिष्ठ प्रबंधक नाथन रसेल ने कहा, हमने इस पायलट परियोजना के लिए बिहार का चयन किया है क्योंकि यह देश का सबसे बाढ़ग्रस्त राज्य है जहां हर साल कृषि को भारी नुकसान पहुंचता है। भारत भर में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के किसानों के लिए आईबीएफआई एक आदर्श मॉडल है।
आईडब्ल्यूएमआई में पानी के खतरे और आपदाओं के अनुसंधान समूह के अध्यक्ष गिरिराज अमरनाथ ने आईएएनएस को बताया कि इस वर्ष सूचकांक आधारित बाढ़ बीमा मुफ्त प्रदान किया गया क्योंकि यह उनके बीच आत्मविश्वास जगाने की पहल थी। हमने उन्हें किसी भी प्रीमियम का भुगतान करने के लिए नहीं कहा है। आईबीएफआई नि: शुल्क है। इन किसानों ने पचास लाख रुपये की कीमत का बीमा कराया है।
अमरनाथ ने कहा कि रजिस्टर्ड किसानों को बीमा कंपनी से पैसे सीधे उनके बैंक खाते में मिलेंगे। इस प्रक्रिया में किसी एजेंट या मध्यस्थ की कोई भूमिका नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि यह उम्मीद की जाती है कि सूचकांक आधारित बीमा बीमाकर्ताओं को बाढ़ के बाद तेजी से और सही तरीके से किसान के उपज नुकसान की अदायगी करने में मदद करेगा। यह पारंपरिक बीमा के विपरीत है जिसमें हर नुकसान का आकलन किया जाता है, जिसमें समय अधिक लगता है और अरक्षणीय है।
बिहार आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, इस साल पिछले दो दशकों में सबसे खतरनाक बाढ़ का सामना करना पड़ा क्योंकि 19 जिलों के 187 ब्लॉक के 2371 पंचायतों में 1.716 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। इसके साथ ही बाढ़ से 514 लोग मारे गए।
बाढ़ के कारण भारी क्षति को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र से मुआवजे के रूप में 7,637 करोड़ रुपये की मांग की है। अगस्त में सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 करोड़ रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी।
वर्तमान में आठ सदस्यीय केंद्रीय दल बाढ़ प्रभावित जिलों में हुए नुकसान का आकलन कर रहा है। यह राज्य को अंतिम मुआवजे के लिए केंद्र को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।