मधुबनी स्टेशन की पहचान बनेगी ‘पेंटिंग’
मधुबनी (बिहार), 5 अक्टूबर (आईएएनएस)| अगर आप बिहार के मधुबनी रेलवे स्टेशन पर आने वाले हैं, तो आपको यहां का नजारा बदला बदला सा नजर आने वाला है। लोक चित्रकारी के लिए विख्यात मधुबनी का रेलवे स्टेशन आपको न केवल मधुबनी पेंटिंग के लिए आकर्षित करेगा, बल्कि इन पेंटिंग के जरिए आप इस क्षेत्र की पुरानी कहानियों और स्थानीय सामाजिक सरोकारों से भी रूबरू हो सकेंगे।
पूर्व मध्य रेलवे के मधुबनी रेलवे स्टेशन की दीवारों पर एक गैर सरकारी संस्था की पहल पर करीब 7,000 वर्गफीट से अधिक क्षेत्रफल में मधुबनी पेंटिंग बनाई जा रही है, जिसमें 100 कलाकार अपना श्रमदान कर रहे हैं।
गैर सरकारी संस्था ‘क्राफ्टवाला’ की पहल पर इस कार्य में रेलवे भी सहयोग कर रहा है। क्राफ्टवाला के संयोजक और मधुबनी के ठाढ़ी गांव निवासी राकेश कुमार झा ने आईएएनएस को बताया कि किसी भी क्षेत्र में इतने बड़े क्षेत्रफल में लोक चित्रकला को उकेरा जाना एक रिकॉर्ड हो सकता है।
उन्होंने बताया कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में मात्र 4566़1 वर्गफीट में पेंटिंग दर्ज है, जबकि भारत में सबसे बड़ी पेंटिंग का रिकॉर्ड मात्र 720 वर्गफीट का है।
गांधी जयंती के मौके पर दो अक्टूबर को मधुबनी रेलवे स्टेशन पर इस कार्य का शुभारंभ समस्तीपुर के क्षेत्रीय रेलवे प्रबंधक (डीआरएम) रवींद्र कुमार जैन ने किया है।
झा ने कहा, 100 से ज्यादा कलाकारों द्वारा किए जा रहे इस कार्य को सात अक्टूबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। संभावना है कि उसी दिन इसका लोकार्पण भी किया जाएगा। इसके बाद इस रेलखंड के यात्री बगैर स्टेशन का नाम देखे, सिर्फ मधुबनी पेंटिंग के जरिए मधुबनी स्टेशन को पहचान सकेंगे।
राकेश झा ने कहा, प्रत्येक थीम पर एक से 10 कलाकारों की टीम बनाई गई है, जिसमें अनुभवी कलाकारों को टीम लीडर बनाया गया है।
पेंटिंग कर रही महिला कलाकार स्वीटी कुमारी ने कहा, इस पेंटिंग को कुल 46 छोटे-बड़े थीम में बांट कर 100 से अधिक कलाकारों के माध्यम से किया जा रहा है। ये सारे कलाकार ‘क्राफ्टवाला’ संगठन से जुड़े हैं।
स्वीटी ने कहा, पेंटिंग के जरिए जहां रामचरित मानस के सीता जन्म, राम-सीता वाटिका मिलन, धनुष भंग, जयमाल और सीता की विदाई को दिखाया जा रहा है वहीं कृष्णलीला के तहत कृष्ण के जन्म के बाद उनके पिता द्वारा उनको यमुना पार कर मथुरा ले जाना, माखन चोरी, कालिया मर्दन, कृष्ण रास, राधा कृष्ण प्रेमालाप को भी बड़े मनोयोग से प्रदर्शित करने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में महाकवि विद्यापति, ग्राम जीवन का विकास, ग्रामीण हाट, ग्रामीण खेलों (गिल्ली-डंडा, कितकित, पिटो), मिथिला लोक नृत्य और पर्व (झिझिया, सामा-चकेबा, छठ) को भी प्रदर्शित किया जा रहा है।
इस कार्य में एक मूक-बधिर लड़की कोमल कुमारी भी अपनी कला से लोगों का मन मोह रही है। समस्तीपुर क्षेत्र के डीआरएम ने कोमल को रेलवे में बतौर पेंटर दिव्यांग कोटे से नौकरी देने की बात कही है।
मधुबनी के जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने भी कोमल की कला की प्रशंसा करते हुए उसकी पढ़ाई में मदद करने और उचित सहायता का अश्वासन दिया है।