आरबीआई ने विकास दर अनुमान घटाकर 6.7 प्रतिशत किया
मुंबई, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए देश का विकास दर अनुमान बुधवार को घटाकर योजित सकल मूल्य (जीवीए) को 6.7 प्रतिशत कर दिया।
आरबीआई ने इसके पहले 2017-18 में देश का जीवीए वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत अनुमानित किया था।
वित्त वर्ष के दौरान विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने कहा, वित्त वर्ष 2017-18 के लिए वास्तवित जीवीए वृद्धि दर को संशोधित कर 6.7 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके पहले अगस्त का अनुमान 7.3 प्रतिशत था।
जीवीए को वृद्धि का अपेक्षाकृत अधिक सटीक सूचकांक माना जाता है, क्योंकि इसमें करों और सब्सिडी को शामिल नहीं किया जाता, जबकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसे शामिल किया जाता है।
विनिर्माण में गिरावट से सुस्त भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर अप्रैल से जून की अवधि में गिरकर 5.7 फीसदी हो गई। यह नरेंद्र मोदी सरकार के दौरान सबसे कम जीडीपी वृद्धि दर है।
आरबीआई ने अपनी द्विमाही नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए अपनी प्रमुख दरों को भी छह प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
वृद्धि दर अनुमान को घटाने के पीछे एक अन्य कारण नया वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) रहा है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति बयान में कहा गया है, ऐसा लगता है कि जीएसटी के क्रियान्वयन का भी अब तक विपरीत प्रभाव रहा है, जिसके कारण विनिर्माण क्षेत्र में अल्पकाल के लिए अनिश्चितता की संभावना पैदा हो गई। इससे निवेश गतिविध के सुधार में और विलंब हो सकता है, जो बैंकों और कॉरपोरेट के तनावग्रस्त बैलेंस शीट के कारण पहले से ही बाधित है।
बयान में कहा गया है, आरबीआई द्वारा सर्वे किया गया, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र का उपभोक्ता विश्वास और सकल कारोबार मूल्यांकन 2017-18 की दूसरी तिमाही में कमजोर रहा।