मप्र : किसानों ने हक मांगा, पुलिस ने अर्धनग्न कर हवालात में बंद कर दिया
भोपाल, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य की जनता और किसान को अपना भगवान बताते हैं, मगर इस ‘भगवान’ की नौकरशाहों और खाकीवर्दी की नजरों में क्या हैसियत है, वह बार-बार सामने आती रहती है। मंगलवार को अपना हक मांग रहे किसानों को पुलिस ने न केवल पीटा, बल्कि उन्हें गिरफ्तार कर थाने के लॉकअप में उन्हें अर्धनग्न हालत में रखा गया।
कांग्रेस के आह्वान पर मंगलवार को किसान ‘खेत बचाओ किसान बचाओ आंदोलन’ के तहत सड़कों पर उतरे थे। वे जिलाधिकारी अभिजीत अग्रवाल को ज्ञापन सौंपना चाहते थे। लेकिन अग्रवाल ज्ञापन लेने को तैयार नहीं थे और उन्होंने बतौर प्रतिनिधि अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) आदित्य सिंह को भेजा। किसान जिलाधिकारी को ही ज्ञापन देने पर अड़े थे। इस दौरान पुलिस व अन्य के बीच झड़प हो गई, जिसके बाद पुलिस ने किसानों पर लाठी चार्ज, आंसू गैस के गोलों और पानी की बौछारों का इस्तेमाल कर उन्हें खदेड़ दिया।
किसान अशोक यादव ने बताया, आंदोलन खत्म होने के बाद दो ट्रैक्टर-ट्रॉली से वे अपने गांव जा रहे थे, तभी रास्ते में देहात थाने की पुलिस ने उन्हें रोका और लॉकअप में बंद कर (चड्डी) को छोड़कर सारे कपड़े उतरवा दिए और उसके बाद पिटाई भी की।
किसान रामदास पुलिस की इस कार्रवाई से बेहद दुखी हैं। उन्होंने कहा कि कपड़े उतरने से बड़ी बेइज्जती क्या हो सकती है। यह उन्हें जीवनभर सताएगा। पुलिस का गोली मारना बर्दाश्त था, मगर कपड़े उतरवाना बर्दाश्त के बाहर है।
मुख्यमंत्री चौहान के किसान प्रेम की बात करें तो मौका कोई भी हो वे अपने को किसान पुत्र और किसानों का सबसे बड़ा हमदर्द बताने में हिचकते नहीं हैं। उन्होंने किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू कीं, जिसका किसानों को लाभ कितना मिला, यह तो नहीं कहा जा सकता, मगर प्रचार खूब हुआ।
दूसरी ओर यह भी सच है कि किसान को न तो लागत का मूल्य मिल रहा है और न ही सरकार की योजनाएं जमीन तक पहुंच पा रही हैं। लेकिन किसान जब भी अपने हक की लड़ाई लड़ता है, उसे बर्बरता का शिकार होना पड़ता है।
आम किसान यूनियन के संस्थापक केदार सिरोही का कहना है, वर्तमान राज्य सरकार किसानों के दर्द को सुनने को ही तैयार नहीं है। वह तानाशाही पर उतर आई है, मंदसौर में किसानों को गोलियों से भून दिया गया, टीकमगढ़ में किसानों को पीटा गया और कपड़े उतरवा दिए। ऐसा तो कभी अंग्रेजों ने भी नहीं किया होगा। मुख्यमंत्री खुद को पुजारी और किसान को भगवान कहते हैं, मगर उन्हीं के राज में किसान को सरेआम नंगा किया जा रहा है, उसकी जितनी बेइज्जती हो सकती है की जा रही है। पुलिस के इस कृत्य की जितनी भी निंदा की जाए कम है।
कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिंह का कहना है, किसान और कांग्रेस कार्यकर्ता शांतिपूर्वक जिलाधिकारी को ज्ञापन देना चाहते हैं, क्योंकि इस समय किसानों का बुरा हाल है। किसान अपना दर्द बताने गया और उस पर लाठी बरसाई, इतना ही नहीं जब वे घरों को लौट रहे थे, तब उन्हें अर्धनग्न कर थाने में रखा गया। यह कृत्य अमानवीय ही नहीं, क्रूरता वाला है। इसके नतीजे भाजपा सरकार को भुगतने होंगे।
राज्य के किसानों के एक बड़े वर्ग में धीरे-धीरे यह धारण जगह बनाने लगी है कि वर्तमान सरकार और मुख्यमंत्री चौहान जो कहते हैं, ठीक वैसा करते नहीं हैं। फसल बीमा में उनसे प्रीमियम तो लिया गया, मगर मुआवजे के तौर पर सौ रुपये से कम मिले। इतना ही नहीं कई किसान तो बीमा कंपनी की कागजी हेराफेरी के चलते सारी फसल बर्बाद होने पर एक रुपये भी बतौर मुआवजा हासिल नहीं कर पाए हैं।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राकेश खाखा ने संवाददाताओं से कहा, अगर किसानों की पिटाई हुई है, कपड़े उतरवाए गए हैं, तो उसकी जांच होगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय का कहना है, टीकमगढ़ की घटना के संदर्भ में वे वास्तविकता को पता कर रहे हैं, उसके बाद ही कुछ कहने की स्थिति में होंगे।