शरीफ फिर पीएमएल-एन के अध्यक्ष चुने गए
इस्लामाबाद, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)| अपदस्थ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किसी सार्वजनिक पद को ग्रहण करने के अयोग्य करार दिए जाने के बाद मंगलवार को फिर से सत्तारूढ़ पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के निर्विरोध रूप से अध्यक्ष चुने गए। डॉन ऑनलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, शरीफ का चुनाव पीएमएल-एन की केंद्रीय कार्यसमिति द्वारा पार्टी के संविधान में संशोधन को मंजूरी दिए जाने के बाद हुआ, जिससे उनके अध्यक्ष बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया।
पीएमएल-एन के नेता तारिक फजल चौधरी ने पार्टी अध्यक्ष के लिए शरीफ के कागजात पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) को सौंपे। अध्यक्ष पद के चुनाव में पार्टी का कोई अन्य उम्मीदवार नहीं खड़ा हुआ।
पीएमएल-एन के मुख्य चुनाव आयुक्त चौधरी जफर इकबाल द्वारा कन्वेंशन सेंटर में पार्टी की जनरल काउंसिल बैठक में औपचारिक रूप से शरीफ के अध्यक्ष बनने की घोषणा की गई। ‘प्रधानमंत्री नवाज शरीफ’ नारों के बीच शरीफ का नाम अध्यक्ष पद के लिए घोषित होते ही उपस्थित लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया।
शरीफ बाद में बैठक को भी संबोधित करेंगे, जिसमें प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी, पंजाब के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ और वित्त मंत्री इसहाक डार समेत पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता शामिल हो रहे हैं।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री खाकान अब्बासी ने इस अवसर को एक ‘ऐतिहासिक दिन’ बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें उन कुछ लोगों की जमात में शामिल होने का सम्मान हासिल है, जिन्हें पहली बार शरीफ को पार्टी अध्यक्ष की कमान संभालते देखने का अवसर मिला था।
अब्बासी ने पीएमएल-एन द्वारा किए गए विकास कार्यो की तुलना अपने कामें से करने की ‘सभी तानाशाहों और
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी)’ को खुली चुनौती दी।
पीएमएल-एन ने सोमवार को सत्ता में होने का भरपूर लाभ उठाया क्योंकि राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने विवादित चुनाव अधिनियम-2017 पर दस्तखत कर दिए। विपक्षी सांसदों ने इसका विरोध किया था।
विधेयक निचले सदन में कुछ मिनटों के भीतर ही हंगामे के बीच पारित हो गया। यह कानून शरीफ को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनने की अनुमति देने के लिए पारित किया गया। विपक्षी नेता सदन अध्यक्ष के आसन के पास पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे। उन्होंने विधेयक की प्रतियां फाड़कर फेंक दीं।
गौरतलब है कि पनामा पेपर्स मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने 28 जुलाई को अपने फैसले में शरीफ को प्रधानमंत्री पद के अयोग्य करार दिया था, जिसके बाद उन्होंने (शरीफ) पार्टी अध्यक्ष पद भी छोड़ दिया था।