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अहिंसा का मार्ग अपनाएं : आचार्य देवव्रत

शिमला, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)| हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा है कि अहिंसा परम धरम है और हमें अहिंसा को जीवन में अपनाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वेदों में भी अहिंसा का ज्ञान दिया गया है और प्राणी मात्र की सेवा को ही सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव की सांस्कृतिक संध्या के उद्घाटन अवसर पर शनिवार शाम राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल देवभूमि है और देवता का अर्थ मानव मात्र की भलाई के लिए जीवन देना है।

उन्होंने कहा, हमारी संस्कृति परोपकार व दया दृष्टि की रही है। हमने दुनिया को प्राणीमात्र की रक्षा का संदेश दिया है। मौजूदा परिप्रेक्ष्य में जागरूक समाज को ही बुराइयों के खिलाफ तथा समाज सुधार के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने बाल विवाह, विधवा विवाह जैसे उदाहरण देकर समाज सुधार के दृष्टिकोण को उजागर किया।

आचार्य देवव्रत ने कहा कि वेद में दूसरों की आत्मा को अपनी आत्मा में देखने की बात कही गई है। जो दूसरों के दुख-दर्द को अपना समझे और अपने हृदय में महसूस करे, वही सही अर्थो में मानव कहलाने का हकदार है।

राज्यपाल ने वैदिक ज्ञान के माध्यम से लोगों को बताया कि हर प्राणी एक ही ईश्वर की संतान है और जो उन्हें प्यार करे, भगवान को वही प्रिय है।

लोगों से धर्मशास्त्रों का अध्ययन करने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म माना गया है। इसलिए हिंसक आदमी भगवान का प्रिय कैसे हो सकता है।

कुल्लू जिला प्रशासन के प्रयासों की सराहना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि कुल्लू दशहरा के दौरान सांस्कृतिक संध्या का हर दिवस सामाजिक सरोकार के विषय पर केंद्रित किया गया है, जो समाज को एक अच्छा संदेश देता है। उन्होंने प्रदेश में नशामुक्ति, स्वच्छता, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, जल संरक्षण, समरसता तथा शून्य लागत प्राकृतिक कृषि जैसे अभियानों से लोगों को जुड़ने का आग्रह किया।

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