रजा फाउंडेशन के कार्यक्रम में दिखेगी गुरु-शिष्य परंपरा
नई दिल्ली, 30 सितंबर (आईएएनएस)| रजा फाउंडेशन की ओर से और इंडिया हैबिटेट सेंटर की मेजबानी में 3 से 5 अक्टूबर तक एक अनूठी अवधारणा वाली सालाना सांस्कृतिक श्रंखला का आयोजन किया जा रहा है, जिसे नाम दिया गया है- उत्तराधिकार। भारतीय शास्त्रीय कला के प्रसिद्ध गुरु अपने सबसे खास शागिर्द को इस समारोह में प्रस्तुति के लिए चुनते हैं। वे अपने ‘शिष्य’ का परिचय इसी दावे के साथ करेंगे कि वे ही उनकी परंपरा और कला शैली का निर्वाह कर सकते हैं। इस तरीके से उनके शागिर्द अपने गुरुओं की नृत्य या संगीत परंपरा को आगे बढ़ाएंगे।
उत्तराधिकार के दूसरे सत्र में विभिन्न वाद्ययंत्रों, शास्त्रीय गायन तथा शास्त्रीय नृत्य से जुड़े छह भारतीय कलाकार हिस्सा लेंगे। इनमें से एक कलाकार के पिता और गुरु अब इस दुनिया में नहीं रहे। इस कलाकार को छोड़कर बाकी सभी कलाकारों का चयन एवं उनकी सिफारिश उनके गुरुओं ने ही की है और इनमें से कुछ कलाकार तो अपने क्षेत्र के विशेष परफॉर्मर माने जाते हैं।
रजा फाउंडेशन के प्रबंधन न्यासी अशोक वाजपेयी ने कहा, ‘भारतीय शास्त्रीय कला में उत्तराधिकार और हस्तांतरण जटिल मुद्दे हैं। शिक्षण-प्रशिक्षण के आधुनिकीकरण के बावजूद गुरु-शिष्य परंपरा की अहमियत, प्रासंगिकता और सक्रियता बनी हुई है और हमारा यह समारोह रजा साहब (दिवंगत कलाकार एस.एच. रजा) के आदेशानुसार ही चल रहा है, जिन्होंने इन परंपराओं में गहरी दिलचस्पी दिखाते हुए इन्हें जिंदा रखा।
उन्होंने कहा कि एक मायने में इस श्रंखला के तहत शास्त्रीय संगीत और शास्त्रीय नृत्य के कुछ कुशल प्रशिक्षित और प्रतिभाशाली युवा कलाकारों की प्रस्तुति होगी, जबकि इसका दूसरा मकसद गुरु-शिष्य परंपरा की वर्तमान स्थिति का आकलन करने वाले शास्त्रीय रसिकों को भी जुटाना है।
समारोह का आगाज मंगलवार को पंडित अरविंद पारिख के शागिर्द और अपनी पीढ़ी के एक मशहूर सितारवादक राजीव जनार्दन के सितारवादन से होगा। रुद्रवीणा और सुरबहार में भी उतने ही कुशल राजीव आठ साल की उम्र से ही हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सीखने लगे थे और अपने गुरुओं- पंडित बिमलेंदु मुखर्जी तथा पंडित अरविंद पारिख की शागिर्दी में एक पक्के कलाकार के तौर पर उभरे। उनके दोनों गुरु सितार के मशहूर इमदाद खनी घराने से ताल्लुक रखते हैं।
उसी दिन दूसरी प्रस्तुति अहमदाबाद (गुजरात) में कदंब सेंटर फॉर डांस की जानी-मानी नृत्यांगना पद्मभूषण कुमुदिनी लाखिया और उनकी शिष्या रूपांशी कश्यप की होगी। रूपांशी थियेटर कलाकार भी हैं और उन्होंने कई गुजराती व हिंदी नाटकों में बेहतरीन भूमिकाएं निभाई हैं।
बुधवार को विदुषी अश्विनी भिड़े देशपांडे की शिष्या सानिया पतांकर हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन प्रस्तुत करेंगी। उनके बाद प्रीति पटेल की शागिर्द एस. करुणा देवी द्वारा मणिपुर नृत्य प्रस्तुति होगी। दिवंगत उस्ताद अब्दुल लतीफ खान के शागिर्द सारंगी वादक फारूकी लतीफ खान और सुरूपा सेन की शिष्या ओडिशी नृत्यांगना पवित्रा रेड्डी आखिरी दिन शुक्रवार को प्रस्तुति देंगे।