बिहार में 6 माह के अंदर सत्ता परिवर्तन तय : गोविंद यादव
जबलपुर, 29 सितंबर (आईएएनएस)। जनता दल (यू) के शरद गुट की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष गोविंद यादव ने यहां शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से नीतीश कुमार को हटा दिया गया है और दिल्ली में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चुनाव की तिथि 10 मार्च, 2018 निर्धारित की गई है। उन्होंने दावा किया कि अगले छह माह में बिहार में सत्ता परिवर्तन होना तय है।
प्रदेशाध्यक्ष यादव ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि नीतीश कुमार को 10 अप्रैल, 2016 में पार्टी का कार्यवाहक अध्यक्ष चुना गया था। कार्यवाहक अध्यक्ष के निर्वाचन के बाद पार्टी की आतंरिक लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार छह माह में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना था। इससे पहले जिला व प्रदेश स्तर की कार्यकारिणी के लिए चुनाव आवश्यक थे। देश के 28 जिलों में आंतरिक चुनाव करवाए बिना ही अक्टूबर, 2016 में नीतीश कुमार ने खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया था।
उन्होंने कहा कि पार्टी की लोकतांत्रिक व्यवस्था की हत्या कर नीतीश ने पार्टी पर कब्जा करने का प्रयास किया था।
यादव ने आगे कहा कि नीतीश कुमार के निर्वाचन को असंवैधानिक बताते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की गई थी, जिसके बाद पार्टी में लोकतंत्र की बात करने वाले व्यक्तियों को उन्होंने पार्टी से निष्कासित कर दिया था। चुनाव आयोग ने उनकी शिकायत पर पार्टी फोरम में मामले का निराकरण करने के निर्देश 24 मई, 2017 को दिए थे।
गोविंद यादव ने बताया कि चुनाव आयोग के निर्देशानुसार 17 सितंबर को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली में आयोजित हुई, जिसमें नीतीश कुमार को पार्टी के राष्ट्रीय पद से हटाने और गुजरात से छह बार विधायक चुने गए छोटू भाई वसाना को कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा नीतीश कुमार द्वारा पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर अप्रैल, 2016 से लिए गए सभी निर्णयों को निरस्त कर दिया गया है।
उन्होंने पार्टी के चुनाव का जिक्र करते हुए बताया कि पार्टी का चुनावी कैलेंडर जारी कर दिया गया है, जिसके अनुसार 10 मार्च को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा। पार्टी की अगली राष्ट्रीय बैठक आठ अक्टूबर को दिल्ली में आयोजित की गई है। पार्टी फोरम के निर्णय की जानकारी चुनाव आयोग को भेज दी गई है। बैठक में 20 राज्यों के पदाधिकारी उपस्थित थे और अंतिम फैसला चुनाव आयोग को ही करना है।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ‘भाजपा मुक्त भारत’ का निर्णय लिया गया था। उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा था। इसके बावजूद उन्होंने पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की सहमति के बिना बिहार में महागठबंधन तोड़कर भाजपा से हाथ मिला लिया। जनादेश महागठबंधन को मिला था। नीतीश ने बिहार की 11 करोड़ जनता के साथ विश्वासघात किया है।