आतंकवाद को समर्थन देने वाली सरकारें आत्महत्या को न्योता दे रही हैं : भारत
बिश्केक/नई दिल्ली, 28 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत ने पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए गुरुवार को कहा कि आतंकवादियों को पनाह देने वाली सरकारें आत्महत्या को निमंत्रण दे रही हैं। ‘आधुनिक धर्मनिरपेक्ष समाज में इस्लाम’ विषय पर किर्गिस्तान के बिश्केक में सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश राज्य मंत्री एम. जे. अकबर ने कहा कि धर्म आधारित आतंकवादी आधुनिकता विरोधी होते हैं और राष्ट्र की अवधारणा को चुनौती देते हैं, जो कि समकालिक स्थिरता की सैद्धांतिक बुनियाद है।
उन्होंने कहा, ये लोग देश के बदले धर्म आधारित स्थान पर विश्वास करते हैं और ये किर्गिस्तान के लिए उतने ही खतरनाक हैं जितने कि इराक, माली, सोमालिया या भारत के लिए।
अकबर ने कहा कि जो सरकारें भी इन आतंकवादियों को पनाह दे रही हैं, वे आत्महत्या को आमंत्रण दे रहीं हैं, ये भी आतंकवादियों जितनी ही दोषी हैं।
अकबर ने कहा, आतंकवादी मानव सोच और सह-अस्तित्व को निशाना बनाते हैं। वे लोग तबाही मचाकर समाज में भय का वातावरण पैदा करते हैं, जहां कई धर्म और जाति के लोग सौहार्द के सभ्यता के मूल्यों के साथ रहते हैं। आतंकवादी निरंकुशता का विकल्प पेश करते हैं।
अकबर ने कहा कि आतंकवादियों ने जो युद्ध शुरू किया है, उसमें उनकी हार जरूर होगी लेकिन इसे खत्म होने में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि यह ऐसा युद्ध है जिसे न सिर्फ जमीनी स्तर पर लड़ा जाना चाहिए, बल्कि दिमाग में भी लड़ा जाना चाहिए।
अकबर ने कहा कि यह समय कुछ मुस्लिम समुदायों में पैदा होने वाली अत्यधिक खतरनाक प्रवृत्ति पर ध्यान देने का है और यह प्रवृत्ति है धार्मिक आस्था की श्रेष्ठता का सिद्धांत। इसमें आतंकवादी हिंसा के साथ धर्म आधारित वर्चस्व, जातीय नरसंहार और लैंगिक उत्पीड़न शामिल हैं।
उन्होंने कहा, हमें इस पर स्पष्ट होना चाहिए। इस खतरनाक समस्या को न्यायसंगत ठहराने के लिए कोई भी बहाना नहीं होना चाहिए। आतंकवादी जो धार्मिक वर्चस्वता के नाम पर आतंक फैलाते हैं, वे लोग किसी शत्रु या प्रतीक को हानि नहीं पहुंचाते हैं बल्कि वे लोग इस्लाम की बुनियाद को ही गंभीर हानि पहुंचाते हैं जिसके नाम का अर्थ ही शांति का मिशन है।
उन्होंने कहा, इस्लाम एक भाईचार है, न कि राष्ट्रवाद। यह एक मानवीय दर्शनशास्त्र है, न कि आत्मघाती कट्टरवादियों के लिए घातक हथियार।
अकबर ने कहा कि आज की मुख्य चुनौती धार्मिक वर्चस्ववादियों और धर्म की बराबरी में विश्वास करने वालों के बीच संघर्ष की है।
ज्ञान को आधुनिकता की मुख्य सीढ़ी बताते हुए उन्होंने कहा कि पहले इस्लाम क्षेत्रीय युद्धक्षेत्र से फैला, लेकिन इसका सही में एकीकरण तब हुआ जब मुस्लिम समुदाय ज्ञान के क्षेत्र में सबसे आगे आए।
अकबर ने कहा, आज हमारा मुख्य उत्तरदायित्व है धर्मनिरपेक्ष ज्ञान का लोकतांत्रिकरण करना। अगर हम इसमें विफल होते हैं, तो हम अपने बच्चों को विफल कर देंगे। हम 21वीं शताब्दी को उनकी मुट्ठी से छीन लेंगे।
अकबर ने लैंगिक समानता पर जोर देते हुए कहा कि इस पर समझौता नहीं किया जा सकता। महिलाओं को संस्कृति और आर्थिक वृद्धि का नेतृत्व करना चाहिए।
उन्होंने कहा, कुछ प्रतिगामी विचार महिलाओं को दबाने के लिए कानून को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं। हमें उनके खिलाफ खड़ा होना चाहिए और लड़ना चाहिए।