खेल

अंडर-17 फुटबाल टीम में शामिल मणिपुर खिलाड़ियों का असल जीवन दयनीय

इम्फाल, 28 सितम्बर (आईएएनएस)| अगले माह से शुरू हो रहे फीफा अंडर-17 विश्व कप में हिस्सा लेने वाली भारतीय टीम में शामिल मणिपुर के खिलाड़ियों की असल जीवन की स्थिति दयनीय है। इस टूर्नामेंट में मणिपुर के कुल आठ खिलाड़ी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

मणिपुर के इन खिलाड़ियों के पास अच्छे स्तर पर कोचिंग हासिल करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है और न वह फुटबाल खिलाड़ी के लिए जरूरी डाइट ले पा रहे हैं।

अपने बच्चों की ओर से की गई मेहनत पर बातचीत के दौरान कई माता-पिता भावुक हो गए। आम तौर पर माता-पिता अपने बच्चे के विश्व चैम्पियनशिप में खेलने की बात पर जश्न मनाते हैं, लेकिन के. मीना की भावनाएं अलग हैं।

अपने आंसुओं को पोंछते हुए मीना ने बताया कि उनका बेटा के. निंगथोइनगानबा वर्तमान में जर्मनी में प्रशिक्षण ले रहा है और बेहतर होगा कि वह वहीं रहे, क्योंकि उनके पास अपने बेटे को उस स्तर की सुविधा देने के पैसे नहीं हैं।

मीना ने कहा कि उनके पास इतने पैसे भी नहीं है कि वह टूर्नामेंट के दौरान अपने बेटे के मैच को स्टेडियम में देखने जा सकें। हालांकि, कुछ लोगों ने अब मीना को वित्तीय सहायता दी, ताकि वह अपने बेटे को उसका सपना पूरा करते हुए देख सकें।

मीना अपने बेटे और दो बेटियों के साथ एक झोपड़ी में रहती हैं। मीना के पति का निधन हो चुका है और वह बाजार में किण्वित मछली बेचकर अपने बच्चों का पालन-पोषण करती हैं।

विश्व कप टूर्नामेंट में खेल रहे मणिपुर के अन्य खिलाड़ियों के माता-पिता की हालत भी कुछ ऐसी ही है।

मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह का कहना है कि खिलाड़ियों की प्रतिभा को देखते हुए मणिपुर में केंद्र एक खेल विश्वविद्यालय स्थापित कर रहा है। हालांकि, खिलाड़ियों और उनके माता-पिता को यह गलतफहमी है कि कोई भी मंत्री उनकी मदद नहीं कर रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर उपलब्धियां हासिल करने वाले खिलाड़ी प्रतियोगिता में इसलिए हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं, क्योंकि वह टिकट नहीं खरीद सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि छह अक्टूबर से भारत में फीफा अंडर-17 विश्व कप का आयोजन हो रहा है और भारत का मुकाबला पहले दिन अमेरिका से होगा।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close