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आईएएस को मिल रही जान से मारने की धमकी, नेशनल हाईवे महाघोटाला किया था उजागर
देहरादून से चंद्रशेखर जोशी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
उत्तराखंड में भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन चुका है। क्या मजाल, अगर किसी भी ऑफिस में आपने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की सोची तो आपकी जान के लाले पड़ जाएंगे। जी, हां यह बात बिल्कुल सच है, फिर चाहे वह वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ही क्यों न हो। उत्तराखंड आईएएस अधिकारी और शासन में सचिव डी सेंथिल पांडियन को परिवार सहित जान से मारने की धमकी मिली है। कारण उन्होंने एनएच 74 चौड़ीकरण घोटाले का पर्दाफाश कर 300 करोड़ से ज्यादा के घोटाले का पर्दाफाश किया है।
घोटाले से पर्दा उठाने वाले आईएएस अधिकारी का भाजपा सरकार ने ट्रांस्फर कर दिया था। सेंथिल के तबादले पर चर्चा होती रही कि एनएच घोटाले की न तो सीबीआई जांच शुरू हुई और न ही जांच रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने कार्रवाई की। उससे पहले ही मुख्य जांच अधिकारी बदल दिए गए।
सचिव डी सेंथिल पांडियन ने इसी वर्ष एनएच 74 चौड़ीकरण के लिए ली गई भूमि के मुआवजे घोटाले का पर्दाफाश किया था। इसके बाद सरकार ने डी सेंथिल पांडियन को आयुक्त कुमाऊं के पदभार से मुक्त करते हुए शासन में सचिव का दायित्व सौंपा था और यूएसनगर में जिलाधिकारी तैनात रहे डॉ. पंकज पांडे को चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महानिदेशक- सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग बना दिया गया।
अब एनएच 74 चौड़ीकरण घोटाले की जांच करने वाले आईएएस अधिकारी और शासन में सचिव डी सेंथिल पांडियन ने खुद व परिवार को खतरे की आशंका जताई है। पत्र में यह बात कही गई है कि एनएच-74 घोटाला सामने आने के बाद कुछ लोग उन्हें व उनके परिवार को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर सकते हैं। उनके इस पत्र के बाद शासन भी हरकत में आया है। पत्र में एनएच-74 घोटाले की जांच समेत अन्य मामलों का जिक्र करते हुए सुरक्षा को खतरा बताया गया है।
सुरक्षा की मांग उठाई
एनएच-74 के चौड़ीकरण में हुए तीन सौ करोड़ से ज्यादा के घोटाले के खुलासे से जुड़े करने वाले तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नर और वर्तमान में सचिव परिवहन डी सेंथिल पांडियन ने जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की है। इस बाबत कार्मिक विभाग को उन्होंने एक पत्र भेजा है। कार्मिक विभाग की ओर से इस पर गृह विभाग को पत्र भेजकर सचिव व उनके परिजनों को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा गया है। हालांकि, प्रमुख सचिव गृह आनंद वद्र्धन ने फिलहाल इस प्रकार के किसी पत्र के मिलने से इन्कार किया।
घोटाले में कई अफसरों पर गिरी गाज
सचिव डी सेंथिल पांडियन ने इसी वर्ष एनएच 74 चौड़ीकरण के लिए ली गई भूमि के मुआवजे घोटाले का पर्दाफाश किया था। इस मामले में अभी तक सात पीसीएस अधिकारी निलंबित चल रहे हैं। इसके अलावा निचले स्तर पर भी कई कर्मचारियों पर गाज गिरी है। एक एसडीएम का पेशकार भी गिरफ्तार हो चुका है।
पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स इसकी जांच कर रही है। मामले की सीबीआई जांच की संस्तुति करने के कुछ दिन बार सरकार ने डी सेंथिल पांडियन को आयुक्त कुमाऊं के पदभार से मुक्त करते हुए शासन में सचिव का दायित्व सौंपा था। जांच आगे बढऩे के साथ ही इसमें लिप्त लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।
क्या था घोटाला
पश्चिम यूपी और उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के बीच बेहतर कनेक्टिविटी के मकसद से एनएच-74 का चौड़ीकरण आरंभ किया गया था। मगर इसमें बड़े पैमाने पर कृषि भूमि को कृषि के लिए अयोग्य दिखाकर लगभग 300 करोड़ का घपला किया गया। पूरे घोटाले का खुलासा तत्कालीन कमिश्नर डी. सेंथिल पांडियन ने किया था। नई सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीबीआई जांच की सिफारिश भी की थी, हालांकि छह माह बीत जाने के बाद भी सीबीआई ने जांच टेकअप नहीं की और स्थिति जस की तस है।
इस बीच सचिव डी सेंथिल पांडियन ने कार्मिक विभाग को पत्र लिखकर अपने व परिवार पर खतरे की आशंका जताई है। हालांकि इस संबंध में संपर्क करने पर सचिव डी सेंथिल पांडियन ने किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं की।
जांच को लेकर दुविधा में सूबे की सरकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी मुहिम के बावजूद केंद्र सरकार इस दुविधा में है कि ऊधमसिंह नगर जिले में सामने आए 300 करोड़ रुपए के एनएच-74 भूमि अधिग्रहण घोटाले की सीबीआई जांच कराई जाए या नहीं।
नतीजतन ऊधमसिंह नगर जिले में एनएच चौड़ीकरण के मामले में भाजपा सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति टांय-टांय फिस्स हो गयी है। कुमाऊं कमिश्नर की जांच में उजागर हुआ कि 300 करोड़ रुपये के भूमि मुआवजा घोटाले पर पर्दा पडऩे लगा है। सीबीआई जांच के इंतजार में घोटाले को रफा-दफा करने की तैयारी है। सियासी दबाव में घोटाले की जांच एक इंच आगे नही बढ़ पायी है।
एनएच-74, एनएच-125 के भूमि मुआवजा घोटाले में कुमाऊं कमिश्नर डी सेंथिल पांडियन ने अपनी जांच में छह पीसीएस अधिकारियों को दोषी माना था और उनके खिलाफ कार्रवाई को शासन को लिखा था लेकिन इसमें कई और लिप्त राजपत्रित अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो सकी। इसमें डीएम ने भी अपने स्तर की जांच में जिले के तीन नायब तहसीलदारों को दोषी पाया था। इनके निलंबन के लिए डीएम ने शासन को पत्रावली भेजी थी, लेकिन हैरानी की बात है कि वह पूरी पत्रावली ही दबा दी गई है।
नहीं हुई कोई कार्रवाई
एनएच-74 के भूमि मुआवजा घोटालें में पूर्व कांग्रेस सरकार रही हो या वर्तमान भाजपा सरकार, किसी भी अधिकारी के खिलाफ जांच आगे नहीं बढ़ सकी हैं। कुमाऊं कमिश्नर की अनुपूरक रिपोर्ट में भी एक पीसीएस अधिकारी के निलंबन के लिए शासन को पत्र भेजा गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उक्त पीसीएस अधिकारी पर गदरपुर, बाजपुर क्षेत्र में भारी हेरफेर का मामला प्रकाश में आया था।
1. एनएच-74 और एनएच 125 के भूमि मुआवजा घोटाले में ऊधमसिंह नगर जिले के करीब 24 राजपत्रित अधिकारियों के निलंबन की कवायद दबा दी गई।
2. सितारगंज क्षेत्र में पटवारियों की कृषि रिपोर्ट पर भी दिया गया अकृषि का मुआवजा। इसमें विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी कार्यालय से कई ऐसी फाइलों पर सीधे मुआवजा दिया गया, जिन पर पटवारियों की रिपोर्ट भी नहीं लगी है।
3 कमर्शियल और आवासीय भवन के मुआवजे में भी करोड़ों के खेल में कई लोग सफेदपोश की आड़ ले रहे हैं। यह मामला भीदब गया।
4. एनएच-74 के मुआवजा घोटाले का मामला वर्ष 2015-16 में ही पकड़ में आ गया था, जिसे भाजपा सरकार में भी पूरी तरह से दबाने के प्रयास किए जा रहे है।
ऊधमसिंह नगर जिले में एनएच चौड़ीकरण के मामले में कुमाऊं कमिश्नर की जांच में उजागर हुआ 300 करोड़ रुपये से अधिक के भूमि मुआवजा घोटाले पर पर्दा पडऩे लगा है। घोटाले के अभिलेख खुर्द बुर्द किए जाने की आशंका है। जांच भी धीरे-धीरे दबाई जाने लगी है। सत्ता के सियासी पैतरों में इसे पूरी तरह से ठिकाने लगाने की योजना अब स्पष्ट रूप से सामने आने लगी है।
कुमाऊं कमिश्नर डी सेंथिल पांडियन ने जिस तेजी के साथ एनएच-74, एनएच-125 के भूमि मुआवजा घोटाले में एकाएक ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए इसमें लिप्त छह पीसीएस अधिकारियों को सीधे तौर पर अपनी जांच में दोषी पाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई को शासन को लिखा गया था इसके बाद जांच जब सीधे तौर पर सीबीआई को सौंप दी थी और सीबीआई ने जांच शुरू नहीं की तो अब यह महाघोटाला सत्ता की पैंतरेबाजी में दबाये जाने लगा है। इसमें खास बात यह भी है कि डीएम की पूरी पत्रावली ही दबा दी गई है।