राष्ट्रीय

मप्र : डूब प्रभावितों का मुआवजा हड़पने में 3 गिरफ्तार

खंडवा (मप्र), 25 सितंबर (आईएएनएस)| गुजरात में सरदार सरोवर बांध बनने के कारण मध्यप्रदेश में डूब प्रभावित नर्मदा घाटी के परिवारों के साथ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी होने का मामला सामने आ रहा है। पुलिस ने दो प्रभावित परिवारों का मुआवजा हड़पने वाले तीन लोगों को सोमवार को खंडवा से गिरफ्तार किया। खंडवा पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, मांधाता थाने के अंतर्गत आने वाले डूब प्रभावित इलाके के भवानी शंकर ने कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी पुनर्वास योजना की राशि दो लाख 42 हजार रुपये और उन्हीं के गांव के गुलाब सिंह राजपूत के एक लाख 60 हजार रुपये नर्मदा हाईड्रोलिक डेवलपमेंट कॉर्पोशन (एनएचडीसी) में जमा थे, जिसे किसी अज्ञात व्यक्ति ने फर्जी तरीके से बैंक ऑफ बड़ौदा की सनावद शाखा में खाता खुलवाकर, एनएचडीसी में आवेदन देकर दोनों की राशि में से दो लाख 60 हजार रुपये निकाल लिए।

पुलिस के मुताबिक, पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन ने फर्जी तरीके से रकम निकालने के मामले की जांच के लिए एक दल गठित किया। इस दल के सदस्य उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) विकास खिची ने जांच में पाया कि फर्जी दस्तावेजों व फर्जी आधार कार्ड बनवाकर बैंक में खाता खोला गया और फर्ती दस्तावेज एनएचडीसी में पेश कर मुआवजा राशि अपने खातों में ट्रांसफर करा लिया।

जांच अधिकारी विकास खिची के मुताबिक, इस मामले में एनएचडीसी के अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की गई तो सुराग हाथ लगा।

पुलिस ने जब घोघलगांव के निवासी जगदीश से पूछताछ की, तो उसने अपने दो अन्य साथियों- पंचोली व गोपाल के साथ मिलकर भवानी शंकर और गुलाब सिंह के नाम के फर्जी दस्तावेज बनवाकर उनके पैसे निकालने की बात कबूल कर ली।

थाना कोतवाली में धारा 420, 511 के तहत प्रकरण दर्ज कर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।

सामाजिक कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने बताया कि नर्मदा घाटी के डूब प्रभावितों के विस्थापन, पुनर्वास और अन्य सुविधाओं का आकलन करने के लिए गठित झा आयोग ने अपनी जांच में पहले में ही पाया था कि डूब प्रभावितों की जमीनों के लिए होने वाली 3,366 रजिस्ट्रियों में से 1500 सौ से ज्यादा फर्जी थीं और रकम कोई और हड़प गया।

इतना ही नहीं, आयोग ने पाया कि इस काम को एक गिरोह ने अंजाम दिया था, जिसमें दलालों के साथ ही नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण से लेकर राजस्व विभाग के नीचे से लेकर राज्य स्तर तक के अधिकारी शामिल थे। पुनर्वास स्थल बनाने में भी गड़बड़ी पाई गई थी।

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