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वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार अरुण साधू का निधन

मुंबई, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| वरिष्ठ पत्रकार एवं मराठी साहित्यकार अरुण साधू का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया। साधू के एक रिश्तेदार ने आईएएनएस को बताया, वह 76 वर्ष के थे और उनके परिवार में पत्नी अरुणा और दो बेटियां शेफाली और सुवर्णा हैं। उनकी पत्नी प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता हैं।

वह लंबे समय से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे। उन्हें रविवार दोपहर को सायन अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां सोमवार तड़के लगभग 4.45 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली।

उनकी आखिरी इच्छा के अनुरूप उनका अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा और उनके पार्थिव शरीर को दान में दिया जाएगा।

अरुण साधू का जन्म 17 जून 1941 को पूर्वी महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था। उन्होंने 1961 में नागपुर विश्वविद्यालय से बी.एससी. की डिग्री ली थी।

उन्होंने अपने चार दशक के पत्रकारिता करियर में टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, द स्टेट्समैन के साथ काम किया। वह कई मराठी प्रकाशनों के प्रमुख रहे और फ्री प्रेस जर्नल के संपादक भी थे।

वह छह वर्षो तक पुणे यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता विभाग के प्रोफेसर व प्रमुख भी रहे। उन्होंने मीडिया-साहित्यिक कार्यक्रमों के लिए अमेरिका, फ्रांस और अफगानिस्तान का दौरा किया।

वह पत्रकारिता और साहित्य की दुनिया को साथ-साथ लेकर चले। उन्होंने मराठी, अंग्रेजी और हिंदी भाषाओं में समाचार, संपादकीय, आलेख, लघु कहानियां, उपन्यास, लोक लेखन, प्रख्यात साहित्यिक कार्यो का अनुवाद और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न मुद्दों पर काम किया।

उन्हें अपने पहले मराठी उपन्यास ‘मुंबई दिनांक’ और ‘सिहासन’ से लोकप्रियता मिली। सिंहासन पर जब्बर पटेल ने अपनी चर्चित मराठी फिल्म भी बनाई थी। साल 2000 में उन्होंने कुछ अन्य लेखकों के साथ फिल्म ‘डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर’ की पटकथा भी लिखी।

उन्हें भारती भाषा परिषद रचना पुरस्कार (2009), कौमी एकता फाउंडेशन पुरस्कार, एन.सी.केलकर पुरस्कार, आचार्य आप्टे पुरस्कार, पद्मश्री विट्ठलराव विल्खे पाटिल पुरस्कार सहित कई सम्मान मिले।

साधू को नागपुर में 2007 में 80वीं अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष भी चुना गया था

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण, शीर्ष साहित्यिक संस्थाओं के सदस्यों और मीडिया जगत ने पत्रकारिता और साहित्य में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए उन्हें याद किया और उनके निधन पर शोक जताया है।

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