लोगों को सिनेमाघरों तक लाना चुनौतीपूर्ण : रंजीत तिवारी
मुंबई, 24 सितम्बर (आईएएनएस)| मनोरंजन के विभिन्न अवसरों के साथ, फिल्म निर्माताओं ने प्रयोगात्मक कहानी कहने की कोशिश में सकारात्मक बदलाव किए हैं। वहीं ‘लखनऊ सेंट्रल’ के निर्देशक रंजीत तिवारी का कहना है कि दर्शकों को सिनेमाघरों तक लुभाना एक बड़ी चुनौती है। इस महीने की शुरुआत में रिलीज हुई ‘लखनऊ सेंट्रल’ वास्तविक घटना पर आधारित है। इसमें जेल के पांच कैदी एक संगीत बैंड का निर्माण करते हैं। यह बॉलीवुड सिनेमा की असमान्य कहानी है।
तिवारी ने आईएएनएस से कहा, मुझे लगता है कि दर्शक अच्छी और अलग तरह की कहानियों को देखने के लिए तैयार हैं, जो हमारे जैसे लोगों के लिए कहानी कहने के तरीके के साथ प्रयोग करने हेतु एक सकारात्मक संकेत है। इन दिनों, लोगों के पास मनोरंजन के पर्याप्त अवसर हैं। वे डिजिटल मंचों पर अंतर्राष्ट्रीय कहानियों के संपर्क में हैं।
उन्होंने कहा, इसलिए, उन्हें अपने घर से बाहर कदम रखने, थिएटर में कदम रखने, फिल्म के लिए पैसे और समय खर्च करने का ठोस कारण चाहिए। यह अच्छा होना चाहिए, थिएटर में लोगों को लाना अब बहुत ही चुनौतीपूर्ण है।
तिवारी ने ‘लखनऊ सेंट्रल’ की कहानी में कैदियों के जीवन और जेल के भीतर की दुनिया को बाहर लाने के लिए काफी शोध किए। क्योंकि फिल्म का उद्देश्य कैदियों के समाज की मुख्यधारा में पुनर्मिलन का संदेश देना था।
‘लखनऊ सेंट्रल’ में फरहान अख्तर, डायना पेंटी, गिप्पी ग्रेवाल, राजेश शर्मा, इनामुलहक, रोनित रॉय, रवि किशन और दीपक डोबरियाल जैसे सितारे प्रमुख भूमिकाओं में दिखाई दिए थे।