भारत ने राखिने में सामान्य स्थिति बहाल करने पर जोर दिया
जेनेवा, 19 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत ने मंगलवार को म्यांमार के राखिने राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने पर जोर दिया और स्थिति को संयम के साथ संभालाने की बात कही। जेनेवा में भारत के संयुक्त राष्ट्र के स्थाई प्रतिनिधि राजीव चंदर ने कहा,यह जरूरी है कि हिंसा समाप्त हो और शांति, सांप्रदायिक सौहार्द, न्याय, गरिमा और लोकतांत्रिक मूल्यों के सम्मान के आधार पर समस्या का समाधान हो।
उन्होंने कहा कि हमारा आग्रह राखिने में स्थिति को संयम से संभालने का है जिसमें जोर नागरिकों के कल्याण पर हो।
चंदर ने मानवाधिकार परिषद के 36वें सत्र में म्यांमार के तथ्य-खोज मिशन के साथ एक संवाद में यह बातें कहीं।
हिंसा पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि हमने इस बात को नोट किया है कि इस हिंसा की शुरुआत कई आतंकी हमलों के साथ हुई जिसमें सुरक्षाकर्मी व आम लोग मारे गए।
बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय ने सोमवार को कहा कि 25 अगस्त को सुरक्षा कर्मियों पर हमले की श्रृंखला के बाद म्यांमार सेना की अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय पर कार्रवाई के बाद से लगभग 415,000 रोहिंग्या शरणार्थियों ने बांग्लादेश में प्रवेश किया है।
म्यांमार रोहिंग्या लोगों को अपना नागरिक नहीं मानता। बांग्लादेश में उन्हें शरणार्थी का दर्जा दिया गया है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महीने की शुरुआत में म्यांमार की यात्रा के दौरान वहां की विदेश मंत्री आंग सान सू की के साथ एक बैठक के दौरान राखिने की स्थिति के बारे में नई दिल्ली की चिंताओं को साझा किया था।
चंदर ने बांग्लादेश में बड़ी संख्या में लोगों के आने की वजह से उभर रही गंभीर समस्याओं को बताया और कहा कि भारत ने शरणार्थियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बांग्लादेश को मानवीय सहायता प्रदान की है।
उन्होंने कहा, शरणार्थियों को मानवतावादी सहायता प्रदान करने के लिए बांग्लादेश द्वारा निभाई गई भूमिका मान्यता के योग्य है।
भारतीय स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि राखिने की स्थिति का एकमात्र दीर्घकालिक समाधान सामाजिक-आर्थिक और बुनियादी ढांचे का विकास है।
चंदर ने कहा कि भारत और म्यांमार, दोनों ही देश बुनियादी ढांचे और सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं, विशेषकर शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, कृषि प्रसंस्करण, सामुदायिक विकास, छोटे पुलों का निर्माण, सड़कों का उन्नयन, छोटी बिजली परियोजनाएं, प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना, घरेलू शिल्प, पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को बढ़ावा देने में आपसी सहयोग पर सहमत हुए हैं।