सू की ने राखिने में मानवाधिकार उल्लंघनों, हिंसा की निंदा की
नेपेडा, 19 सितम्बर (आईएएनएस)| म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी संकट को लेकर चुप्पी तोड़ते हुए मंगलवार को कहा कि वह और उनकी सरकार देश में सभी मानवाधिकार उल्लंघनों और गैर-कानूनी हिंसा की निंदा करती हैं और उनका देश राखिने राज्य के हालात की अंतर्राष्ट्रीय जांच से नहीं डरता है। उन्होंने राखिने में हो रही हिंसा के मद्देनजर 415,000 रोहिंग्या मुसलमानों के बांग्लादेश पलायन करने को लेकर पहली बार राष्ट्र को संबोधित किया।
सू की ने कहा, हम पूरे देश में शांति, स्थिरता और कानून का शासन बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
सू की ने इस सप्ताहांत में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया था।
सीएनएन के मुताबिक, उन्होंने कहा कि वह इस तथ्य से वाकिफ हैं कि दुनिया का ध्यान राखिने राज्य के हालात पर केंद्रित है। और म्यांमार अंतर्राष्ट्रीय जांच से नहीं डरता है।
सू की ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर अपने संबोधन में कहा कि वह फिर भी यह नहीं चाहती थीं कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह पता चले कि उनकी सरकार इस संबंध में क्या कर रही है।
उन्होंने कहा, म्यांमार सरकार का मकसद जिम्मेदारी को बांटना या जिम्मेदारी से भागना नहीं है। हम सभी प्रकार के मानवाधिकार उल्लंघनों और गैर कानूनी हिंसा की निंदा करते हैं।
उन्होंने कहा, देश के कानून के खिलाफ जाने वालों और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति के हों या किसी भी राजनीतिक पद पर हों।
सू की ने हिंसा से प्रभावित समुदायों को मानवीय सहायता प्रदान करने का वादा भी किया।
संकटग्रस्त राखिने से लगातार पलायन के बावजूद सू की ने दावा किया कि सेना की आक्रामक कार्रवाई दो हफ्ते पहले समाप्त हो चुकी है और पांच सितंबर से कोई संघर्ष या सैन्य अभियान नहीं चलाया गया है।
उन्होंने कहा, आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए हैं। हमें उन सभी को सुनना है और कोई कदम उठाने से पहले यह सुनिश्चित करना है कि वे आरोप ठोस सबूतों पर आधारित हों।
सू की ने कहा, हम यह पता लगाना चाहते हैं कि पलायन क्यों हो रहा है। जो पलायन कर गए हैं और जो अभी यहां बने हुए हैं..हम उन लोगों से बात करना चाहेंगे।
गौरतलब है कि ‘अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी’ (एआरएसए) के विद्रोहियों ने 25 अगस्त को पुलिस चौकियों पर हमला कर दिया था और 12 सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी थी।
सू की ने 25 अगस्त को हुए हमले को आतंकवादी हमला बताया था।
रोहिंग्या प्रकरण पर चुप्पी साधने के कारण नोबेल शांति पुरस्कार विजेता सू की की चौतरफा आलोचना हो रही है।
म्यांमार इस तथ्य के बावजूद कि कई रोहिंग्या परिवार राखिने में सालों से रह रहे हैं, इन्हें पड़ोसी देश बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी समझता है।
वहीं बांग्लादेश इन्हें म्यांमार का नागरिक मानता है।