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रोहिंग्‍या मुसलमान इस बौद्ध भिक्षु के नाम से थर–थर कांपते हैं, जानिए क्‍यों  

पिछले दो सप्ताह में करीब 2 लाख 70 हजार रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से पलायन कर चुके हैं। इनमें से 60 हजार से ज्यादा बंगलादेश और 40 हजार रोहिंग्या भारत में शरण ले चुके हैं।

रोहिंग्या मुसलमानों पर जिस तरह से जुल्म ढाए जा रहे हैं उसे लेकर सबके मन में सवाल है कि आखिर इसकी वजह क्या है? म्यांमार में दशकों से रह रहे रोहिंग्याओं को क्यों भगाया जा रहा है। इसके पीछे कौन है?

रोहिंग्या के पलायन पीछे म्यांमार के बौद्ध भिक्षु विराथू का नाम लिया जा रहा है। म्यांमार के उत्तर पश्चिम इलाके में गरीब मुसलमानों के ढाई हजार से ज्यादा घर जला दिए गए। इस घटना से म्यांमार में रहने वाले मुसलमानों में ऐसा खौफ पैदा किया गया कि वे जान बचाकर दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हो गए।

इन सब के बीच म्यांमार सरकार का जगह-जगह विरोध–प्रदर्शन हो रहा है। कुछ दिन पहले इंडोनेशिया में यहां के मुस्लिम संगठनों ने म्यांमार दूतावास के बाहर प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया, लेकिन इस प्रदर्शन में कुछ लोगों को म्यांमार के बौद्ध भिक्षु अशीन विराथू की तस्वीर लिए देखा गया। विराथू को लोग कट्टरपंथी बौद्ध भिक्षु मान रहे हैं।

अशीन विराधू इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में हैं। तो आइए जानते हैं कि विराथू कौन हैं और उन पर रोहिंग्याओं के पलायन का आरोप क्यों लग रहा है।

विराथू का जन्म 1968 में म्यांमार में मंडल्ये के पास एक गांव में हुआ था। बताते हैं कि 14 साल की उम्र में बौद्ध भिक्षु बनने के लिए विराथू ने स्कूल छोड़कर बौद्ध गुरुओं का साथ पकड़ लिया। 2001 में मुसलमानों के खिलाफ चलाए जा रहे ‘969 आंदोलन’ (तीन अंकों 969 को भगवान बुद्ध का प्रतीक माना जाता है) में शामिल हो गए।

2013 में उन्हें एक धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ उपदेश देने के लिए 25 साल की सजा भी हुई, लेकिन राजनीतिक कैदियों की रिहाई के दौरान 2012 में उन्हें भी रिहा कर दिया गया। विराथू अब सोशल मीडिया और अन्य माध्‍यमों से अपने अनुयायियों में सक्रिय रहते हैं।

2013 में एक मैगजीन के कवर पेज पर विराथू की स्टोरी छपी और उन्हें इसमें म्यांमार का ओसामा बिन लादेन बताया गया। विराथू का कहना है कि आप कितना भी दयालु और प्यार करने वाले हों लेकिन पागल कुत्ते के साथ नहीं सो सकते।

विराथू का यह बयान मुसलमानों के संदर्भ में देखा जा रहा है। विराथू मुसलमानों के खिलाफ बयान देकर कई बार चर्चा में रह चुके हैं। कहा जाता है कि म्यांमार में विराथू के नाम से ही मुसलमान खौफ खाते हैं।

म्यांमार में इस वक्त 80 फीसदी से ज्यादा लोग बौद्ध हैं, जबकि 4-5 फीसदी ही मुसलमान हैं। म्यांमार में होने वाले सांप्रदायिक दंगों में हर बार सबसे ज्यादा नुकसान रोहिंग्या मुसलमानों का हुआ।

बौद्ध समुदाय के लोग जिस वजह से रोहिंग्याओं के खून के प्यासे हैं और उन्हें देश से खदेड़ रहे हैं उसके पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं। इनमें एक कारण 2012 में यहां के रखाइन राज्‍य में रोहिंग्या मुसलमानों का बौद्ध लड़की से रेप किए जाने का मामला है। यह विवाद इतना बढ़ गया कि दो समुदायों के बीच हिंसा की लपटें भड़क उठीं।

दूसरा- एक कहानी ऐसी भी है कि म्यांमार के सैनिक रोहिंग्याओं पर जुल्म ढाते हैं। इस जुल्म के खिलाफ रोहिंग्या मुसलमानों के समूह ने म्यांमार सैनिकों की एक टुकड़ी पर हमला बोल दिया।

इसके बाद से यहां रोहिंग्याओं को भगाने का अभियान शुरू हुआ। कहा जा रहा है कि यहां की सेना एकतरफा कार्रवाई कर रोहिंग्याओं को देश से बाहर खदेड़ रही है। म्यांमार में कुल 4 लाख रोहिंग्या मुसलमान थे। इनमें से करीब 2 लाख 70 हजार को खदेड़ दिया गया है।

 

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