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मुंबई विस्फोट मामले में दो को मौत की सजा, अबु सलेम फांसी से बचा

मुंबई, 7 सितम्बर (आईएएनएस)| गैंगस्टर अबु सलेम एक प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों की वजह से गुरुवार को मौत की सजा से बच गया।

यहां एक विशेष टाडा अदालत ने 1993 के मुंबई विस्फोट मामले में गुरुवार को दो दोषियों को फांसी की सजा सुनाई, जबकि गैंगेस्टर अबु सलेम अंसारी को 25 साल जेल की सजा सुनाई। अदालत ने सलेम को यह सजा पुर्तगाल से हुई प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के मुताबिक सुनाई, जिसमें पहले से तय था कि सलेम को फांसी नहीं दी जाएगी।

विशेष लोक अभियोजक दीपक साल्वे ने बताया कि विशेष न्यायाधीश जी. ए. सेनेप ने धमाके में संलिप्तता के लिए दोषी मोहम्मद ताहेर मर्चेट (55) एवं फिरोज अब्दुल राशिद खान (47) को विस्फोट में उनकी भूमिका के लिए मौत की सजा सुनाई।

उन्होंने कहा कि विशेष अदालत ने अबु सलेम (50) के अलावा करीमुल्लाह खान (55) को भी उम्रकैद की सजा सुनाई व पांचवे दोषी रियाज सिद्दिकी (67) को 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।

विशेष लोक अभियोजक दीपक साल्वे ने फैसले के बाद कहा कि भारत व पुर्तगाल के बीच हुई प्र्त्यपण संधि के मुताबिक सलेम को दी जाने वाली यह अधिकतम सजा है क्योंकि पुर्तगाल में मौत की सजा प्रतिबंधित है, जहां पहले अबु सलेम को गिरफ्तार किया गया था और जहां से उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया था।

फैसले के बाद साल्वे ने संवाददाताओं से कहा कि विशेष न्यायाधीश ने हत्या, हथियारों एवं गोला-बारूद की आपूर्ति, धमाके का षडयंत्र रचने जैसे गंभीर अपराधों में दोषियों पर जुर्माने भी लगाए हैं।

सभी छह दोषियों को विशेष अदालत ने 16 जून को दोषी करार दिया था जिसमें से एक मुस्तफा दोसा (60) की 28 जून को दिल का दौरा पड़ने से मौत हो चुकी है।

इन्हें कई कानूनों के तहत दोषी ठहराया गया व सजा दी गई। इसमें भारतीय दंड संहिता, टाडा, विस्फोटक अधिनियम, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति नुकसान रोकथाम अधिनियम शामिल हैं।

अपने नृशंस कार्य को अंजाम देने के लिए साजिशकर्ताओं ने खतरनाक व घातक हथियार, गोलाबारूद, हैंड ग्रेनेड व करीब तीन टन आरडीएक्स की तस्करी की थी। इतने बड़े पैमाने पर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार आरडीएक्स इस्तेमाल किया गया था।

एक अन्य आरोपी अब्दुल कयूम (64) को उसके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्यों के आभाव में बरी कर दिया और बाद में जेल से रिहा कर दिया गया।

यह बहुप्रतीक्षित फैसला 12 मार्च,1993 को मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के 24 वर्ष और विशेष अदालत द्वारा मामले में शामिल लोगों को दोषी करार दिए जाने के लगभग 80 दिन बाद आया है।

इस मामले में कम से कम 27 अन्य आरोपी भी शामिल थे, जिसमें मॉफिया डॉन दाऊद इब्राहिम कास्कर व टाइगर मेनन भी शामिल हैं, जो विस्फोट के मास्टरमांइड थे। यह जांचकर्ताओं से बच निकले और इन्हें फरार घोषित किया गया है।

यह मुंबई विस्फोट मुकदमे का दूसरा चरण था। इससे पहले प्रथम चरण 2007 में पूरा हुआ था, जिसमें 123 आरोपियों में से 100 को दोषी करार दिया गया था। इसमें बॉलीवुड के अभिनेता व सुनील दत्त के बेटे संजय दत्त व याकूब मेनन शामिल थे।

संजय दत्त अपनी जेल की सजा पूरी कर फरवरी 2016 में बाहर आए, जबकि मेनन को 30 जुलाई 2015 को फांसी दी गई।

इसका पहला चरण संभवतया भारत में सबसे लंबा चलने वाला आतंकवाद से जुड़ा मुकदमा है जिसमें विशेष टाडा अदालत के न्यायाधीश पी.डी.कोडे ने 12 दोषियों को मौत की सजा, 20 को आजीवन कैद और अन्य को दूसरी सजाएं सुनाई थीं।

सर्वोच्च अदालत ने मार्च 2013 के अंत में याकूब मेनन की फांसी को बरकरार रखा, 10 अन्य की मौत की सजा को आजीवन कैद में बदल दिया और 16 अन्य की आजीवन कारावास को बरकरार रखा।

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई उस वक्त दहल उठी थी जब 12 मार्च 1993 को यहां विभिन्न जगहों पर सिलसिलेवार 13 बम धमाके हुए थे। घटना में 257 लोग मारे गए थे और 700 अन्य घायल हो गए थे।

अपराधियों ने एयर इंडिया इमारत, बांबे स्टॉक एक्सचेंज, जावेरी बाजार, तब पांच सितारा होटल होटल सीरॉक और होटल जुहू सेंटॉर को निशाना बनाया था। हादसे में क्षतिग्रस्त निजी और सरकारी संपत्तियों की कीमत 27 करोड़ रुपये आंकी गई थी।

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