अनुपमा हत्याकांड का फैसला : राजेश गुलाटी को मिली उम्रकैद की सजा, 15 लाख जुर्माना
देहरादून। साल 2010 में हुए अनुपमा हत्याकांड का फैसला आखिरकार आज आ ही गया। कल दोषी ठहराए गए राजेश गुलाटी को आज अदालत ने पत्नी अनुपमा की निर्मम हत्या करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुना दी। पत्नी की हत्या और शव के 72 टुकड़े करके उन्हें 56 दिन तक घर के डीप फ्रीजर में रखने के दोषी सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी को अदालत ने राजेश पर 15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। एडीजी पंचम विनोद कुमार की अदालत ने दोपहर 2 बजाकर 39 मिनट पर ये फैसला सुनाया।
यह घटना देहरादून के कैंट कोतवाली क्षेत्र के प्रकाशनगर (गोविंदगढ़) में 12 दिसंबर 2010 को सामने आई थी। यहां मित्तल अपार्टमेंट के फ्लैट में पत्नी और दो बच्चों संग रह रहे सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी (38) ने 17 अक्तूबर 2010 को पत्नी अनुपमा (37) की हत्या कर दी। इसके बाद राजेश ने शव के 72 टुकड़े कर डीप फ्रीजर में डाल दिए और उन्हें एक एक कर ठिकाने लगाने लगा था।
देहरादून में शुक्रवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायालय पंचम विनोद कुमार की अदालत में राजेश गुलाटी को सजा सुनाई गई। अदालत में दोपहर 12:30 बजे जज विनोद कुमार के सामने शासकीय अधिवक्ता बीडी रतूड़ी और बचाव पक्ष के अधिवक्ता उत्कर्ष उपस्थित हुए। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी तरफ से केस को रेयर ऑफ रेयरेस्ट मानने और नहीं माने जाने को लेकर दलील दी।
इसके बाद दोपहर करीब ढाई बजे दोबारा अदालत बैठी और जज विनोद रतूड़ी ने कहा कि इस केस को अदालत रेयरेस्ट ऑफ रेयर नहीं मान रही है। इसलिए राजेश गुलाटी को अदालत ने हत्या की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास की सजा और दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जबकि साक्ष्य छिपाने की धारा 201 के तहत में तीन वर्ष की सजा सुनाई और पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
जुर्माना नहीं चुकाने पर हत्या में दो वर्ष और साक्ष्य छिपाने पर छह महीने अतिरिक्त कारावास की सजा काटनी होगी। अदालत ने कहा कि जुर्माने में से 70 हजार रुपये राज्य कोष में जमा किए जाएंगे। जबकि शेष राशि राजेश और अनुपमा के बच्चों के लिए होगी। यह राशि उनके बालिग होने तक बैंक में जमा रहेगी।
राजेश गुलाटी 12 दिसंबर से जेल में बंद है
पुलिस ने 12 दिसंबर, 2010 को ही आरोपी राजेश गुलाटी को गिरफ्तार कर लिया था, तब से वह जेल में बंद है। इस हत्याकांड में करीब सात साल के ट्रायल के बाद गुरुवार को पंचम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार की अदालत ने राजेश गुलाटी को पत्नी अनुपमा की हत्या और साक्ष्य छिपाने का दोषी माना और अदालत ने आज दोषी के खिलाफ फैसला सुनाया।
जानें कब क्या हुआ
17 अक्तूबर 2010 को आपसी विवाद में की थी पत्नी की हत्या
12 दिसंबर 2010 को अनुपमा के भाई के देहरादून पहुंचने के बाद हुआ हत्या का खुलासा
31 अगस्त 2017 को देहरादून की जिला अदालत ने माना दोषी
01 सितंबर को कोर्ट में पहले वकीलों ने सजा पर दलीलें दी, फिर कोर्ट ने राजेश को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
पौने दो महीने बाद हुआ था हत्या का खुलासा
लंबे समय तक बहन से संपर्क नहीं होने पर 12 दिसंबर 2010 को अनुपमा का भाई सुजान कुमार प्रधान दून पहुंचा। यहां उसे अपार्टमेंट राजेश गुलाटी, उसके जुड़वा बच्चे सिद्धांत और सोनाक्षी मिले। अनुपमा को घर पर न पाकर सुजान ने बिंदाल चौकी पुलिस को इसकी सूचना दी तो सनसनीखेज हत्याकांड का खुलासा हुआ।
1999 में लव मैरिज
पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश ने अनुपमा से 10 फरवरी 1999 को लव मैरिज की थी। शादी के बाद वह 2000 में अनुपमा को साथ लेकर अमेरिका चला गया था। वहीं उसके दो बच्चे हुए। 2008 में अमेरिका से लौटकर दोनों दिल्ली आ गए। इसके बाद राजेश परिवार के साथ दून में रह रहा था।