‘बलात्कारी’ राम रहीम के बाद अब ‘अधर्मी’ रामपाल की बारी, आज होगा इनकी किस्मत का फैसला
नई दिल्ली। यौन शोषण के मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 20 साल की सजा दिए जाने के बाद मंगलवार को अब एक और बाबा की बारी आ सकती है। हम किसी और की नहीं बल्कि बाबा रामपाल की बात कर रहे हैं। अब राम रहीम के बाद हरियाणा के ही एक दूसरे बाबा रामपाल के खिलाफ चल रहे दो मामलों में हिसार कोर्ट मंगलवार (यानी आज) को सजा सुना सकता है।
रोहतक के करौंथा कांड के एक मामले में आरोपी बाबा रामपाल को कोर्ट ने पेश होने का आदेश दिया था। रामपाल पेशी से लगातार इनकार करता रहा। इसी मामले में तीन साल पहले हाईकोर्ट ने रामपाल को गिरफ्तार कर अदालत में पेश करने के निर्देश दिया था। हरियाणा पुलिस ने रामपाल के बरवाला स्थित सतलोक आश्रम पर कार्रवाई की थी। जिस दौरान पुलिस के जवानों व बाबा रामपाल समर्थकों में हिंसक झड़पें हुईं थी। इस हिंसक मामले में कई लोगों की जान भी चली की गई थी।
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने रामपाल समेत सैकड़ों लोगों पर देशद्रोह, हत्या समेत 7 मामले दर्ज किए थे। सभी मामले में रामपाल आरोपी हैं। 18 नवंबर 2014 को सतलोक आश्रम के प्रमुख रामपाल और उनके कुछ आदमियों पर सरकारी काम में बाधा पहु्ंचाने पर मामला दर्ज किया गया था। एक मुकदमे में रामपाल समेत पांच लोग और दूसरे मामले में रामपाल सहित छह लोग आरोपी हैं।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि इन सभी मामलों की सुनवाई हिसार की सेंट्रल जेल वन में बनाए गए स्पेशल कोर्ट में चल रही है। इन्हीं में से दो मामलों में 29 (आज) अगस्त को हिसार कोर्ट फैसला सुना सकता है।
बरवाला के सतलोक आश्रम प्रकरण में मुकदमा नंबर 426 और 427 मामले में पिछले बुधवार बहस पूरी हो गई थी। अदालत ने 24 अगस्त, फैसले की तारीख निर्धारित की थी। लेकिन, पंचकूला की सीबीआई कोर्ट ने डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम के फैसले की तारीख 25 अगस्त पहले निर्धारित कर रखी थी।
आपको बता दें कि हरियाणा में लगातार हिंसक प्रदर्शन के बाद पुलिसकर्मियों की तैनाती भी राम रहीम मामले को लेकर ही थी।
रामपाल और राम रहीम की तारीख एक दिन लगने से पुलिस काफी परेशान थी। पुलिस के आला अधिकारियों ने फैसला टालने के लिए कोर्ट में अर्जी दी। जिसको अदालत ने स्वीकार कर लिया। जिस के चलते अब यह फैसला मंगलवार (आज) को आ सकता है।
- जाने बाबा रामपाल दास का इतिहास
-हरियाणा के सोनीपत स्थित धनाणा गांव में 8 सितंबर 1951 को जन्मा था रामपाल दास
-हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर था रामपाल
-इंजीनियर की नौकरी के दौरान रामपाल की मुलाकात कबीरपंथी संत स्वामी रामदेवानंद महाराज हुई
-रामपाल रामदेवानंद के शिष्य बन गया
-नौकरी के दौरान ही रामपाल दास सत्संग करने लगा और ‘संत रामपाल’ बन गया
-हरियाणा सरकार ने उसे 2000 में इस्तीफा देने को कहा था
-साल 1999 में बंदी छोड़ ट्रस्ट की सहायता से रामपाल ने करोंथा गांव में सतलोक आश्रम का निर्माण करवाया — -हरियाणा में हिसार के पास बरवाला में स्थित इस आश्रम की जमीन को लेकर रामपाल पर कई आरोप लगे।
-संत बनने की शुरुआत में रामपाल सोनीपत और रोहतक में मोटरसाइकिल पर माइक्रोफोन से अपने उपदेश का प्रचार-प्रसार किया करते थे। इसके अलावा वह अपनी वीडियो भी रिकॉर्ड करवाते थे।
-रामपाल के समर्थन ज्यादार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से थे। उन्हीं की मदद से उन्होंने अपना प्रभाव और साम्राज्य बढ़ाया। इसके बाद संत रामपाल के अनुयायियों की संख्या बढ़ती चली गई।
-2006 में स्वामी दयानंद की लिखी एक किताब पर संत रामपाल ने एक टिप्पणी की। आर्यसमाज इस टिप्पणी से नाराज हो गया। आर्य समाज और रामपाल समर्थकों में हिंसक झड़प हुई। इसमें एक महिला की मौत हुई। झड़प के बाद पुलिस ने रामपाल को हत्या के मामले में हिरासत में लिया। 22 महीने जेल में रहने के बाद वह 30 अप्रैल 2008 को जमानत पर रिहा हुए।