राष्ट्रीय

छग : प्रसूता तक नहीं पहुंची महतारी, लिया कांवड़ का सहारा

कोंडागांव (छत्तीसगढ़), 28 अगस्त (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके बयानार के अंदरूनी गांव में सड़क नहीं होने से एक गर्भवती तक ‘महतारी एक्सप्रेस 102’ नहीं पहुंच सकी। पीड़ित परिवार ने फोन किया, वाहन मौके के लिए रवाना भी हुई, लेकिन मरीज तक नहीं पहुंच सकी। नजारा फिर वही हुआ जो बस्तर संभाग में इन दिनों देखा जा रहा है। दो घंटे की पैदल यात्रा कर परिजन कांवड़ पर टांगकर उसे महतारी एक्सप्रेस तक ले गए।

बयानार इलाके के ग्राम नरिहा राजापारा से किसी ने शुक्रवार को फोन से महतारी एक्सप्रेस को सूचना दी। तत्काल पायलट जागेश्वर निषाद और ईएमटी दिव्या यादव मौके के लिए निकले थे, जहां पहुंचने के लिए दोपहिया या पैदल ही जाया जाता है। इस इलाके में जब भी किसी ने मरीज के इलाज के लिए सहायता चाही तो महतारी एक्सप्रेस 102 यहां के लिए निकली जरूर, लेकिन पहुंच नहीं सकी।

पैदल यात्रा करते हुए प्रसवा महिला के परिजनों ने उसे खाट पर लिटाकर कांवड़ की तरह कंधे पर टांगकर महतारी 102 वाहन तक पहुंचाया। वहां से संजीवनी के पायलट व उसमें कार्यरत ईएनटी सदस्य ने उन्हें कोंडागांव जिला अस्पताल तक पहुंचाया।

क्या है महतारी एक्सप्रेस 102 :

जब कोई महतारी एक्सप्रेस 102 को फोन करता है, तब इस कार्य में जुटे कर्मचारी बिना देरी किए मौके के लिए रवाना हो जाते हैं। वे 24 घंटे सेवाएं देने से पीछे नहीं हटते। तत्काल मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाता है। स्वास्थ्य सेवा के अंतर्गत 102 महतारी एक्सप्रेस से घर-घर तक स्वास्थ्य सुरक्षा पहुंचाना आसान हुआ है। इस वजह से समय पर अस्पताल पहुंचने से प्रसूता की प्रसव पीड़ा पहले से बहुत कम हुई है।

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