लखनऊ में शुरू पुस्तक मेला, दस प्रतिशत से ज्यादा मिलेगी छूट
लखनऊ। बाराबंकी से आए रोहित लाल ने अपने लिए एमबीए की किताबें लेने के साथ ही पिता के लिए ‘गीत में कृष्ण तत्व’ और लाला लाजपत राज की हिन्दी में अनूदित ‘योगिराज श्रीकृष्ण’ खरीदी। हंसा वाजपेयी को गुलाब कोठारी की ‘कृष्ण तत्व की वैज्ञानिकता’ भा गई। मां के साथ आई नन्हीं अवंतिका ने मेले से कृष्ण भजनों की खरीदी गई किताब दिखाई।
पुस्तकों के प्रति ऐसी दिलचस्पी मोती महल, वाटिका लॉन, राणा प्रताप मार्ग में अगले नौ दिन तक चलने वाले राष्ट्रीय पुस्तक मेले में नजर आई। योगेश्वर कृष्ण के जन्म से पहले शनिवार को लगा राष्ट्रीय पुस्तक मेला पुस्तक प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया।
राज्यपाल ने मेले का उद़घाटन किया।रविवार से यहां से विविध सांस्कृतिक साहित्यिक आयोजन भी उमड़ते पुस्तक प्रेमियों के बीच शुरू हो गए हैं। पुस्तक मेले में पुस्तकें न्यूनतम 10 प्रतिशत छूट पर मिल रही हैं।
निःशुल्क प्रवेश वाले इस मेले में हिन्दी के प्रमुख प्रकाशन विविध विषयों की अपनी नई-पुरानी किताबों के साथ आए हैं। संयोजक देवराज अरोड़ा ने बताया कि साहित्यिक आयोजन के लिए लोग बराबर सम्पर्क कर रहे हैं।
साथ ही स्टॉलों की मांग भी हो रही है। स्वच्छता और पर्यावरण मेले की थीम को लोग सराह रहे हैं। यह मेला नित्य सुबह 11 बजे से रात नौ बजे तक चलेगा।
सांस्कृतिक पाण्डाल में साहित्यिक आयोजनों का आगाज़ रामनगीना मौर्य के कथा संग्रह ‘आखिरी गंेद’ के विमोचन से हुआ। समारोह में बंधु कुशावर्ती,सुनील वाजपेयी, महेन्द्र भीष्म, डॉ.रविशंकर, वीपी तिवारी, सर्वेश अस्थाना और घनानन्द पाण्डये मेध आदि रचनाकार शामिल थे। लेखक से संवाद के अंतर्गत लेखिका रजनी गुप्त ने अपनी बदले परिदृश्य में प्रेम संबधों पर अपनी कहानी प्रस्तुत की और श्रोताओं को अपने रचना संसार से अवगत कराया।
इससे पहले डॉ.अमिता दुबे, शारदा लाल, डॉ.ऊषा चौधरी, शशि जैन, मंजू शुक्ला, स्नेहलता, रत्ना कौल, अलका प्रमोद आदि की 23 कहानियों के संकलन‘सांध्य बेला’ के लोकार्पण के साथ ही अभिव्यक्ति संस्था के आयोजन में शारदालाल को वाग्देवी साहित्यश्री सम्मान से अलंकृत
किया गया।
समारोह में संग्रह की कई कथाकारों के साथ ही डॉ.रश्मिशील, डॉ.विद्याविंदु सिंह, डॉ.ऊषा सिन्हा आदि ने भाग लिया। शाम को ‘आसमां की छांव में’शीर्षित काव्य समारोह में दिवंगत गीतकार देवल आशीष को आशुतोष वाजपेयी की अध्यक्षता और धीरज मिश्र के संचालन में श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसमें दिनेश शर्मा पथिक, अनूपमणि त्रिपाठी, प्रभात यादव, मनीष सोनी आदि कवियों ने पाठ किया। अपराह्न नेत्र विशेषज्ञ डॉ. वंदना मिश्र ने मुख्य रूप से ग्लूकोमा-काला मोतिया पर अपनी बात रखी और श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर दिए।
पुस्तक मेले में आज 13 अगस्त 2017
अपराह्न 12.30 बजे – कार्यक्रम: सहज योग से आत्म साक्षात्कार
अपराह्न 3.30 बजे – रोली शंकर श्रीवास्तव के उपन्यास पर ‘गुलमोहर एक यात्रा’ पर संवाद
शाम 5.30 बजे- कवि गोष्ठी- ‘काव्या: सतत साहित्य यात्रा’
शाम 7.00 बजे- डॉ. मंजूषा मोहन की पुस्तक का लोकार्पण
रात 8.00 बजे- काव्य संध्या एवं सम्मान समारोह