कोविंद ने राष्ट्रपति पद की ली शपथ, डिजिटल राष्ट्र के साथ आगे बढ़ेगे गांव
नई दिल्ली। रामनाथ कोविंद ने आज राष्ट्रपति पद की शपथ ली। उन्होंने न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा कायम करने के लिए हमेशा संविधान के मूलमंत्र का पालन करने का संकल्प लिया।
पिछले सप्ताह देश के राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए कोविंद को प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. केहर ने शपथ दिलाई। संसद के केंद्रीय कक्ष में एक संक्षिप्त समारोह में शपथग्रहण हुआ।
नए राष्ट्रपति ने ईश्वर के नाम पर शपथ लेते हुए ‘संविधान और कानून की रक्षा और संरक्षा’ की शपथ ली। इसके साथ ही उन्होंने खुद को भारत के लोगों की सेवा और कल्याण में लगाने का संकल्प लिया।
3 घंटे से अधिक समय के प्रोटोकॉल और औपचारिकताएं पूरी हुईं। बाद में नए राष्ट्रपति अपने पूर्ववर्ती प्रणब मुखर्जी के साथ उनके नए आवास 10 राजाजी मार्ग गए।
कोविंद ने अपने भाषण में महात्मा गांधी और दीन दयाल उपाध्याय के विचारों की सराहना की। उन्होंने कहा, “हमारे लिए ये दोनों मापदंड कभी अलग नहीं हो सकते। ये दोनों जुड़े हुए हैं और इन्हें हमेशा जुड़े ही रहना होगा।”
एक छोटे से गांव में मिट्टी के घर में अपनी परवरिश से शुरू हुई अपनी जीवन यात्रा को याद करते हुए कोविंद ने कहा कि उनकी यात्रा बहुत लंबी रही है। उन्होंने पूरे देश को एक साथ चलने पर जोर दिया। उनका कहना है कि ग्राम पंचायत स्तर पर सामुदायिक भावना से विचार-विमर्श करके समस्याओं का निस्तारण होगा।
वहीं दूसरी तरफ डिजिटल राष्ट्र हमें विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचने में सहायता करेगा। कोविंद ने कहा कि भारत ने हमेशा से वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत पर भरोसा किया है। यह उचित होगा कि अब भगवान बुद्ध की यह धरती, शांति की स्थापना और पर्यावरण का संतुलन बनाने में विश्व का नेतृत्व करे।
उन्होंने बताया कि आज विश्व समुदाय अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के लिए हमारी तरफ देख रहा है। चाहे आतंकवाद हो, कालेधन का लेन-देन हो या फिर जलवायु परिवर्तन। वैश्विक परिदृश्य में हमारी जिम्मेदारियां भी वैश्विक हो गई हैं।