उत्तर प्रदेश

उप्र में सरकारी वकीलों की भर्ती पक्षपातपूर्ण : रालोद

लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने प्रदेश की योगी सरकार पर सरकारी वकीलों की नियुक्तियों में पिछड़े वर्ग और दलितों की अनदेखी किए जाने का आरोप लगाया है। रालोद ने कहा कि केंद्र और प्रदेश में बैठी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार अब सरकारी वकील की भर्ती प्रक्रिया में भी पक्षपात कर रही है।

साथ ही अल्पसंख्यक समाज की भी अनदेखी करके सबका साथ सबका विकास का झूठा राग अलापने वाली भाजपा सरकार की पोल जनता के सामने खुल चुकी है।

रालोद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने सोमवार को कहा, “पिछड़ों और दलितों के नाम पर अपना राजनीतिक स्वार्थ हासिल करने वाली भाजपा सरकार द्वारा लखनऊ खंडपीठ में पांच अपर महाधिवक्ता, चार मुख्य स्थायी अधिवक्ता, 21 अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता बनाए गए हैं।

इन सभी पदों पर मनमाने तरीके से सवर्ण वकीलों को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा 80 वादधारक (सिविल) और 47 वादधारक (क्रिमिनल) नियुक्त किए गए हैं, जिसमें केवल 15 पिछड़ा वर्ग और एक अनुसूचित जाति से है जोकि न्यायपूर्ण नहीं है।”

अहमद ने कहा, “इसी तरह से सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया में भी खिलवाड़ किया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की भर्ती राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और यूपीएचएसएसपी जैसी एजेंसियों से की जा रही है, जो जनहित में नहीं है।”

उन्होंने कहा, “सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने तथा अपने चहेतों की जेबें भरने के लिए चिकित्सकों की भर्ती लोक सेवा आयोग से न कराकर एजेंसियों से करा रही है। प्रदेश के मुखिया को अपनी आंखों की पट्टी खोलनी चाहिए और जनता के हित के लिए कोई ठोस कार्ययोजना बनानी चाहिए।”

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