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उप राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के साझा उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी 

महात्मा गांधी के पौत्र हो सकते हैं भारत के अगले राष्ट्रपति…

नई दिल्ली| पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र गोपालकृष्ण गांधी को मंगलवार को कांग्रेस और 17 अन्य विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से अपना उप राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी घोषित किया है। देश में पांच अगस्त को होने वाले उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए गोपालकृष्ण गांधी विपक्षी दलों के साझा उम्मीदवार होंगे।

मंगलवार को ही इस सिलसिले में हुई विपक्षी दलों की बैठक के बाद गोपालकृष्ण गांधी के नाम की घोषणा की गई।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के साझा उम्मीदवार के तौर पर गोपालकृष्ण गांधी (72) के नाम की घोषणा की, जो दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में भारत के राजनयिक रह चुके हैं।

सोनिया ने कहा, “गोपालकृष्ण गांधी उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवार हैं। हमने उनसे बात की है और वह विपक्ष का उम्मीदवार बनने के लिए सहमत हो गए हैं।”

सोनिया ने जब विपक्षी दलों के संयुक्त उप राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम की घोषणा की, उस समय उनके साथ जनता दल (युनाइटेड) के शीर्ष नेता शरद यादव भी बैठे हुए थे।

गौरतलब है कि जद (यू) ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों से खुद को अलग करते हुए भाजपा के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन करने का फैसला किया है।

मंगलवार को हुई बैठक के बाद विपक्षी नेताओं ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने गोपालकृष्ण गांधी के नाम का प्रस्ताव दिया, जिसका बैठक में मौजूद सभी दलों ने समर्थन किया। बैठक में किसी और नाम पर चर्चा नहीं हुई।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अभी अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है। राजग जल्द ही अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर सकता है।

इससे पहले गोपालकृष्ण गांधी का नाम राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए भी सुर्खियों में था, लेकिन राजग ने रामनाथ कोविंद को मैदान में उतारने का फैसला किया, जिसके बाद विपक्ष ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के नाम का ऐलान किया।

उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन-पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 18 जुलाई है। नामांकन-पत्रों की जांच 19 जुलाई को होगी। नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 21 जुलाई है।

हामिद अंसारी 11 अगस्त 2007 से उपराष्ट्रपति हैं। वह 11 अगस्त, 2012 को दूसरी बार भी इस पद के लिए चुने गए थे। उनका मौजूदा कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है।

मंगलवार को हुई विपक्षी दलों की बैठक 90 मिनट के करीब चली और इस दौरान विपक्षी दल के नेताओं ने दो मिनट का मौन रखकर एक दिन पहले जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादी हमले में मारे गए अमरनाथ यात्रियों को श्रद्धांजलि दी।

विपक्षी दलों ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से बदला लेने, किसानों द्वारा खुदकुशी, नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर को लागू किए जाने पर भी चर्चा की।

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने आरोप लगाया कि सरकारी एजेंसियां राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) सहित विपक्षी दलों को निशाना बना रही हैं।

उन्होंने कहा, “मुद्दे पर सभी दलों के बीच सर्वसम्मति बनी। विपक्षी पार्टियां न सिर्फ संसद के अंदर और बाहर सहयोग कर रही हैं, बल्कि अन्य मंचों से भी, खासकर सोशल मीडिया पर।”

ओ ब्रायन ने कहा कि गोपालकृष्ण गांधी के नाम पर 15 मिनट के अंदर सहमति बन गई। सिर्फ एक नाम का प्रस्ताव आया और सिर्फ एक नाम पर चर्चा हुई।

गोपालकृष्ण गांधी का समर्थन करने वालों में मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी भी शामिल थे।

एक कांग्रेस नेता ने बताया कि जब गोपालकृष्ण गांधी को विपक्षी दलों के फैसला के बारे में बताया गया तो उन्होंने अपनी रजामंदी देने के लिए 15 मिनट का समय मांगा। उस समय वह कहीं व्याख्यान दे रहे थे।

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