जीजेएम ने दार्जिलिंग में जीटीए समझौते का दस्तावेज फूंका
दार्जिलिंग | पश्चिम बंगाल सरकार के साथ सभी संबंध खत्म करने के प्रयास के तहत गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने मंगलवार को उत्तरी पहाड़ी इलाके के विकास बोर्ड के विरोध स्वरूप गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन समझौते के दस्तावेजों को जलाया। जीटीए कार्यकर्ता चौक बाजार पर इकट्ठा हुए और जीटीए समझौता दस्तावेजों को खुलेआम जलाया। उन्होंने और अधिक रैलियों का ऐलान किया और घाटी में जीटीए के किसी भी ताजा चुनाव में हिस्सा लेने को लेकर अन्य पार्टियों को चेतावनी दी।
जीजेएम के इस विरोध प्रदर्शन में दार्जिलिंग के भारी तादाद में लोगों ने हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने तिरंगे के साथ ही जीजेएम पार्टी का झंडा ले रखा था और अलग राज्य की मांग को लेकर गोरखालैंड के समर्थन में नारे लगाए।
जीजेएम के प्रमुख बिमल गुरुं ग ने 23 जून को इस रैली की घोषणा की थी। चौक बाजार पर मौजूद जीजेएम के नेतृत्व ने कहा कि दार्जिलिंग, कलिमपोंग तथा दोआर के 45 अन्य हिस्सों में इस तरह का प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जीटीए के दस्तावेजों को जलाना पहाड़ी इलाके में विकास बोर्ड को खत्म करने का आधिकारिक प्रतीक है।
जीजेएम के सहायक महासचिव बिनय तमांग ने कहा, “आज (मंगलवार) हम जीटीए समझौता ज्ञापन तथा जीटीए अधिनियम को जला रहे हैं, जिसपर अगस्त 2011 में हस्ताक्षर किया गया था। आज से पहाड़ी इलाके में जीटीए का कोई अस्तित्व नहीं होगा। अब हम जीटीए को और नहीं चाहते। जो एकमात्र चीज हम चाहते हैं, वह गोरखालैंड है।”
तमांग ने कहा, “पहाड़ी इलाके की कोई भी पार्टी जीटीए के किसी भी रूप में चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी। लेकिन अगर राज्य सरकार ने यहां चुनाव थोपने का प्रयास किया और अगर किसी ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी चुनाव लड़ने का प्रयास किया, तो वह ऐसा अपने जोखिम पर करेंगे।”
अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन चला रही जीजेएम ने ममता बनर्जी सरकार के साथ किसी भी तरह की वार्ता की संभावना को खारिज किया और उसपर ‘दबाने तथा ज्यादती करने का आरोप लगाया।’ वहीं, तृणमूल कांग्रेस सरकार अपने रुख पर कायम है कि इलाके में हालात सामान्य होने पर वह चर्चा के लिए तैयार है।