राष्ट्रीय

नूरुल इस्लाम विश्वविद्यालय का नैनो उपग्रह कक्षा में स्थापित

चेन्नई | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को 29 विदेशी उपग्रहों के साथ नूरुल इस्लाम विश्वविद्यालय के एक नैनो उपग्रह ‘एनआईयूएसएटी’ को भी सफलतापूर्वक उसकी कक्षा में स्थापित कर दिया। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति माजिद खान के साथ विद्यार्थियों व शिक्षकों ने विश्वविद्यालय द्वारा निर्मित नैनो उपग्रह को स्वदेश निर्मित पीएसएलवी रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किए जाने का जश्न मनाया।

तिरुवनंतपुरम रेलवे स्टेशन से 30 किलोमीटर दूर तमिलनाडु में स्थित एनआईयू विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने रद्दी से इस उपग्रह का निर्माण किया था। इसका वजन 15 किलोग्राम था, जिसके निर्माण में 37 करोड़ रुपये की लागत आई थी।

यह उपग्रह फसलों की निगरानी और आपदा प्रबंधन सहायता अनुप्रयोगों के लिए मल्टी-स्पेक्ट्रल तस्वीरें प्रदान करेगा। कुलाधिपति माजिद खान ने विद्यार्थियों और कर्मचारियों के साथ बैठकर बड़ी स्क्रीन पर उपग्रह का पूरा प्रक्षेपण देखा।

खान ने कहा, “यह सब तब शुरू हुआ जब 2004 में केरल और तमिलनाडु पर सुनामी ने कहर बरपाया। यह बहुत दुखद क्षण था क्योंकि यहां कोई चेतावनी जारी नहीं हुई थी। सैकड़ों जिंदगियां खत्म हो गई थीं।” उन्होंने बताया, “इसके बाद हमने सोचना शुरू किया कि हमें इसका समाधान तलाशना चाहिए। 2007 में हमारे छात्रों और शिक्षकों ने इस नैनो उपग्रह पर काम करना शुरू किया। हम सभी बहुत खुश हैं कि यह प्रयत्न एक सफल निष्कर्ष में पूरा हुआ।”

एनआईयूएसआईटी की शुरुआत से जुड़े रहे प्राध्यापक कृष्णास्वामी ने कहा कि यह एनआईयू के हर व्यक्ति के लिए बड़ी और महान उपलब्धि है। उन्होंने कहा, “हम यहीं नहीं रुकने वाले हैं।” एनआईयूएसएटी 24 घंटों में एक बार तमिलनाडु-केरल के तटवर्ती इलाकों से होकर गुजरेगा। इससे मौसम की जानकारी मिलेगी।

उपग्रह पर काम करने वाले एक छात्र ने मीडिया से कहा कि यह हम सभी के लिए महान अनुभव है, क्योंकि इसरो के इंजीनियरों के लिए भी उपग्रह के सभी पहलुओं पर काम करना मुश्किल होता है।उन्होंने कहा, “इस विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थियों के अलावा मौजूदा सभी विद्यार्थियों को इस उपग्रह के निर्माण का हिस्सा बनने का अनुभव हो रहा है।”

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