सवर्णों के गांवों में शौच पर दलितों को देना पड़ता है टैक्स
बांदा। प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को जहां पूरा देश मिलकर आगे बढा रहा है वहीं यह जानलेवा साबित हो रहा है। जिसकी ताजा घटना राजस्थान में देखी गई। एक सीपीआई (एमएल) के एक कार्यकर्ता को नगरपालिका के कर्मचारियों ने इसलिए पीटकर मार डाला क्योंकि उसने खुले में शौच कर रही गरीब महिलाओं की फोटों खीचने से मना किया था।
इसी से जुड़ी एक घटना अब उत्तौर प्रदेश से आ रही जो थोड़ी अलग भी है। यहां दलित परिवार लगभग 15 साल से जमींदारों की तानाशाही का सामना कर रहे हैं। एनबीटी के मुताबिक योगी आदित्यनाथ शासित यूपी के बांदा जिले के अतर्रा शहर के नजदीक बसे भुजवन पुरवा गांव में अगर दलितों को खेतों में शौच जाना है तो हर महीने 40 रुपये देने होते हैं, वह भी अडवांस। उधारी नहीं चलेगी। ऐसा करीब 15 सालों से हो रहा है।
इतना ही नहीं जो भी दलित परिवार के लोग खेतों में शौच करने जाते है। उन परिवार की महिलाओं को फसलों की बुआई-कटाई के समय उसी व्यक्ति के खेतों में मजदूरी करनी पड़ती है। जहां पर उसे मेहनताना व मजदूरी के तौर पर मात्र 70 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाता है। इतना ही नहीं इससे भी ज्यातदा शर्मनाक बात यह है की अगर किसी दलित परिवार के घर में महीने में तीन बार दो से ज्यादा मेहमान आए तो दस रुपये अतिरिक्त देने पड़ते हैं।
शर्त न मानने वालों को खेतो में शौच नहीं करने दिया जाता। ऐसे में उन्हें शौच करने करीब तीन किमी दूर रोड पटरी या दूर जंगल में जाना पड़ता है। भुजवन पुरवा के एक दलित परिवार के सख्स का कहना है कि उन्हेंद मजबूरी में खेत मालिकों की शर्तें माननी पड़ रही हैं। आगे कहतें है की 60 घरों के इस दलित घरों में रहने वालों के लिए दो साल पहले पद्टे के तौर पर सरकार की तरफ कुछ जमीन मिली थी लेकिन लेखपाल ने वह जमीन आज तक नहीं बताई। साथ ही आपकों बता दें की इस गांव में निवास कर रहें दलित के घर आज भी झोपड़ी के ही है।