अन्तर्राष्ट्रीय

सीरियाई शरणार्थी यूनीसेफ की सद्भावना दूत नामित हुई

संयुक्त राष्ट्र | संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) ने सीरियाई शरणार्थी मुजून अलमेल्लेहान को नई और सबसे कम उम्र की सद्भावना दूत बनाए जाने की घोषणा की है।

समाचार एजेंसी मुताबिक, विश्व शरणार्थी दिवस की पूर्व संध्या पर इसकी घोषणा हुई। आधिकारकि रूप से शरणार्थी की हैसियत वाली 19 वर्षीय शिक्षा कार्यकर्ता मुजून यूनिसेफ की सद्भावना दूत बनाई गई हैं।

जॉर्डन के जातारी शरणार्थी शिविर में रहने के दौरान मुजून को यूनिसेफ से सहायता मिली। मुजून ने कहा, “मैं बचपन से ही जानती थी कि शिक्षा मेरे भविष्य की कुंजी है, इसलिए जब मैंने सीरिया से पलायन किया..मैं अपने साथ स्कूल की किताबें ले गई।”

उन्होंने कहा, “एक शरणार्थी के रूप में मैंने देखा कि जब बच्चों का जबरन बाल विवाह करा दिया जाता है या उनसे शारीरिक मजदूरी कराई जाती है तो उनकी पढ़ाई छूट जाती है और वे उज्जवल भविष्य की संभावनाएं खो देते हैं।”

हर साल 20 जून को शरणार्थी दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय लाखों शरणाथिर्यो के साहस व धर्य को याद करता है।

मुजून सीरिया में युद्ध छिड़ने के कारण 2013 में वहां से पलायन कर गई थीं और ब्रिटेन में दोबारा बसने से पहले तीन साल तक शरणार्थी के रूप में जॉर्डन में रहीं। जातारी शिविर में रहने के 18 महीनों के दौरान उन्होंने बच्चों को खासकर लड़कियों को शिक्षा उपलब्ध कराने की पैरवी की।

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि मुजून ने हाल ही में यूनीसेफ की टीम के साथ चाड का दौरा किया, जहां संकटग्रस्त क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लड़के व लड़कियां शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं।

वहां से लौटने के बाद से मुजून युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव और उनकी चुनौतियों को लेकर जागरूकता फैलाने के संबंध में काम कर रही हैं।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close