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मेट्रो हुई महंगी, बसों की ओर लौट रहे लोग

नई दिल्ली | दिल्ली मेट्रो ने खस्ता माली हालत का हवाला देकर एक झटके में किराए में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी कर दी है। बढ़े हुए किराए की मार से मेट्रो में सफर कर रहे यात्रियों का बजट डगमगा गया है। आलम यह है कि लोगों ने मेट्रो छोड़ फिर बसों से सफर करना शुरू कर दिया है।

नोएडा की एक कंपनी में काम करने वाले साकेश रतूरी रोजाना मेट्रो के जरिए पालम से नोएडा तक का सफर तय करते हैं। किराया बढ़ने के बाद उनका बजट इतना डगमगा गया कि उन्होंने मेट्रो छोड़ बस से ऑफिस पहुंचना शुरू कर दिया है।

डीएमआरसी के आधिकारिक बयान के मुताबिक, “किराए बढ़ाने पर लंबे समय से विचार किया जा रहा था। यदि अब किराया नहीं बढ़ाते तो काफी घाटा सहना पड़ता। बिजली और मरम्मत कार्यो में काफी खर्च हो रहा है। किराए में बढ़ोतरी ऑपरेशनल लागत को देखते हुए की गई है, जो कमाई से कहीं अधिक है।”

मेट्रो में सुबह से लेकर शाम तक ठसमठस भीड़ देखी गई है। हालत यह कि पीक आवर में बच्चों या बूढ़ों को साथ लेकर सफर करने की सोच भी नहीं सकते। एसी चलने के बावजूद दम घुटने लगता है। सुबह नौ बजे से 10 बजे और शाम छह बजे से रात आठ बजे तक मेट्रो के किसी डिब्बे में घुसने के लिए लोगों को कई-कई गाड़ियां छोड़नी पड़ती है। भीड़ का सीधा मतलब आमदनी है, फिर भी डीएमआरसी ने घाटे का रोना रोते हुए किराया बढ़ा दिया।

एक नजर में देखें तो डीएमआरसी की कुल आय वर्ष 2013-2014 की तुलना में 2014-2015 के बीच 11.7 फीसदी बढ़ी है, जबकि 2014-2015 से 2015-2016 के दौरान आय 21.6 फीसदी बढ़ी है। मतलब, आय में लगभग दोगुना इजाफा हुआ है। ऐसे में घाटे वाला तर्क कहां ठहरता है?

इसके जवाब में डीएमआरसी के प्रवक्ता अनुज दयाल ने कहा, “मेट्रो की कई परियोजनाएं हैं, जिनके लिए तत्काल फंड की जरूरत है। मेट्रो की संचालन लागत कमाई की तुलना में बहुत ज्यादा है। इसलिए किराया बढ़ाना जरूरी था, वरना मेट्रो को काफी घाटा उठाना पड़ सकता था।”

डीएमआरसी का कहना है कि आठ साल बाद किराए में बढ़ोतरी की गई है, इसलिए जो लोग सोच रहे हैं कि अब किराए में अगली बढ़ोतरी भी सात-आठ साल बाद होगी, एक अक्टूबर से दोबारा मेट्रो किराए में वृद्धि होने जा रही है।

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