अन्तर्राष्ट्रीय

सूफी-भक्ति आंदोलनों पर बांग्लादेशी कार्यकर्ता बना रहे वृत्तचित्र

कोलकाता | बांग्लादेशी लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता शहरयार कबीर, सूफी और भक्ति आंदोलन की पांच देशों की विरासत पर एक वृत्तचित्र बना रहे हैं। यह धर्मनिरपेक्षता, मानववाद और सभी धर्मो में मेलजोल का संदेश फैलाएगी।

युद्ध अपराध पर शोध करने वाले शहरयार कबीर ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में शूटिंग के दौरान  बताया, “सूफी विचार तुर्की से शुरू होता हुआ और ईरान, पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश के माध्यम से लगातार अस्तित्व में रहा।

इसने अपने साथ हिंदू, बौद्ध और स्थानीय चलनों के बहुत सारे प्रभावों को लिया और बड़ा बना।”  मुर्शिदाबाद में इस एक घंटे की अवधि वाली इस डॉक्यूमेंट्री के एक हिस्से की शूटिंग हो रही है।
उन्होंने कहा, “मैं धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद को प्रकाश में लाना चाहता हूं।

पूरे विश्व में धार्मिक अतिवाद अपने चरम सीमा पर पहुंच गया है। सही है कि हम धार्मिक अतिवाद से राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से लड़ रहे हैं लेकिन हमें इससे धर्मशास्त्र के अनुसार भी लड़ना होगा। कोई धर्म किसी को मारने की शिक्षा नहीं देता।”

कबीर ने इस वृत्तचित्र के प्रासंगिक खंडों को पाकिस्तान में भी शूट किया है। कबीर ने कहा, “हिंगलाज बलूचिस्तान में हिंदू तीर्थयात्रियोंका सबसे महत्वपूर्ण स्थान है और मुझे वहां मुस्लिमों को पूजा करते हुए देखकर आश्चर्य हुआ।

मेरा इरादा इस मेजजोल की भावना को अपने कैमरे में कैद करना और तब के युगों से मौजूद इस सहिष्णुता को प्रकाश में लाना है।” मुर्शिदाबाद में कबीर बंगाल के अद्भुत भाट लोकगायकों से मिलने और उनकी आस्थाओं को समझने के लिए तैयार हैं जिसमें इस्लाम के सूफीवाद और भक्ति आंदोलन का मिश्रण है।

इसके अलावा कबीर का उत्तरी भारत, जम्मू एवं कश्मीर, ओडिशा और दक्षिण भारत में भी भ्रमण का इरादा है।  उन्होंने कहा, “इस योजना को पूरा होने में कम से कम एक वर्ष लगेगा।”

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