अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिकी संसद ने ओबामा काल के मेथेन कानून को रखा बरकरार

वाशिंगटन | पेरिस जलवायु परिवर्तन से अमेरिका को अलग करने की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुहिम को बुधवार को सीनेट में जोरदार झटका लगा। सीनेट ने जलवायु परिवर्तन से संबंधित एक कानून को बरकरार रखा है, जिसके माध्यम से सार्वजनिक जमीन पर स्थित तेल व गैस के कुओं से मेथेन गैस के उत्सर्जन को नियंत्रित किया जाता है। इस कानून को बराक ओबामा की पिछली सरकार ने लागू किया था।

रिपोर्ट के मुताबिक, सीनेट में बुधवार को मेथेन गैस के उत्सर्जन पर लगाम लगाने वाले साल 2016 में आंतरिक विभाग द्वारा पारित प्रस्ताव पर विचार करने से रोकने के पक्ष में 51 मत पड़े, जबकि विरोध में 49 मत पड़े।

जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता जताने वाले एरिजोना के रिपब्लिकन सीनेटर जॉन मैक्केन, दक्षिण कैरोलिना की लिंडसे ग्राहम तथा मेन की सुसान कोलिंस ने मुद्दे से निपटने के लिए इस कानून का समर्थन किया। उन्होंने मतदान के समय पार्टी के मत से अलग हटकर इस कानून को बरकरार रखने का समर्थन किया।

बराक ओबामा की सरकार में लागू किए गए कानून को निरस्त करने को लेकर यह पहला मतदान था।न्यूयॉर्क से डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर चुक शुमर ने कहा, “अमेरिका तथा दुनिया के लोग राहत की सांस ले सकते हैं।”

लीग ऑफ कंजर्वेशन वोटर्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष टीरनैन सिटेनफेल्ड ने कहा, “हम इस जीत से विस्मित और रोमांचित हैं।” न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, सिटेनफेल्ड ने कहा, “यह स्पष्ट रूप से हमारे स्वास्थ्य तथा जलवायु की बड़ी जीत है।”

मेथेन कानून पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा लागू किए गए पर्यावरण संबंधी कई कानूनी में से एक है, क्योंकि वह अपने शासन का इस्तेमाल पूरे अमेरिका में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए करना चाहते थे।

अमेरिका से उत्सर्जित होने वाले ग्रीन हाउस गैस प्रदूषण में मेथेन का हिस्सा हालांकि बेहद कम है, लेकिन पर्यावरणविदों ने ओबामा से आग्रह किया था कि वह मेथेन उत्सर्जन से निपटें, क्योंकि पृथ्वी के वायुमंडल में गर्मी को जकड़ने की क्षमता कार्बन डाई ऑक्साइड की तुलना में 25 गुना अधिक है।

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