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गंगा को मानव दर्जा मिलने के बाद पहली नोटिस

देहरादून। नैनीताल हाईकोर्ट ने ‘मानव’ दर्जा मिलने के बाद पहली बार शुक्रवार को गंगा नदी को नोटिस जारी किया। नोटिस जारी कर गंगा का पक्ष जाना।, क्योंकि इससे दिन प्रतिदिन लोगों के कूड़ा डालने से यह निरंतर प्रदूषित हो रही है।

आपको बता दें की कोर्ट ने नोटिस जारी होने से पहले ही बाकायदा ‘लीगल पैरेंट्स’ नियुक्त कर चुका है। अदालत ने 20 मार्च के आदेश में स्पष्ट किया था कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के निदेशक, प्रदेश के मुख्य सचिव और महाधिवक्ता गंगा के प्रति जवाब देना होगा । वहीं इसके साथ गंगा के अलावा, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रलय, राज्य पर्यावरण बोर्ड, ऋषिकेश नगर पालिका और प्रदेश सरकार को भी जवाब देना होगा।

ग्राम पंचायत खदरी खड़क माफ के प्रधान शोभ सिंह पुंडीर ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2015 में ग्रामसभा की दस एकड़ जमीन ऋषिकेश नगर पालिका दे दी गयी।
आरोप है कि इसके लिए ग्रामसभा की ओर से कोई रजामदी नहीं की गयी। जिसपे नगर पालिका कूड़ा को खत्मा करने का क्षेत्र बनान घोषित कर बनाना चाहता है । नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत योजना पर करोड़ों रुपये खर्च करने की तैयारी है।

नैनीताल हाईकोर्ट ने 20 मार्च को गंगा और यमुना नदियों को जीवित दर्जा दिया था। इससे अब साफ हो गया है कि जो भी इनको नुकशान पहुंचायेगा उसको उतनी ही सजा दी जायेगी जितनी एक आदमी को नुकशान होने पर दोषी को दी जाती है। उन्हीक धराओं में मुकदमा भी चलेगा।

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