माया के बाद इस मुख्ययमंत्री का ईवीएम से उठा भरोसा, बैलट पेपर के पक्ष में
लखनऊ | उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अब उनका भरोसा भी ईवीएम से उठ चुका है और इसलिए वह चुनाव आयोग से बैलेट पेपर के जरिये चुनाव कराने की मांग करते हैं। पार्टी कार्यालय में सदस्यता अभियान की शुरुआत करते हुए अखिलेश ने कहा कि ईवीएम को लेकर उठ रहे सवाल गलत नहीं हैं।
अखिलेश ने कहा, “चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को चुनौती क्यों दे रहा है कि वे यह साबित करें कि ईवीएम के साथ छेडछाड़ की जा सकती? आयोग को स्वयं आगे आकर ईवीएम में होने वाली खामियों की जानकारी देनी चाहिए।” पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी पूछा कि आखिर इन मशीनों का सॉफ्टवेयर तैयार करने वाले विशेषज्ञ कौन हैं?
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती के साथ गठबंधन पर अखिलेश ने कहा, “मैं तो बहुत पहले ही कह चुका हूं कि उप्र में झूठ और फरेब की वजह से (भाजपा की) सरकार बनी है। इसके खिलाफ सबको एकजुट होना होगा। यदि कोई पहल होती है तो मैं उसका स्वागत करूंगा।”
अखिलेश ने कहा कि आने वाले दिनों में वह केंद्रीय स्तर के नेताओं से मिलकर उप्र में गठबंधन की संभावनाओं को टटोलेंगे। उप्र की योगी आदित्यानाथ सरकार पर चुटकी लेते हुए अखिलेश ने कहा, “नई सरकार यह कह रही है कि उप्र में जिला मुख्यालयों को 24 घंटे, तहसील स्तर पर 20 घंटे और ग्रामीण इलाकों में 18 घंटे बिजली पहुंचाई जाएगी। लेकिन यह आदेश तो मैंने पिछली दीवाली पर ही बतौर मुख्यमंत्री दे दिया था।”
उप्र में बंद हो रहे बूचड़खानों पर सवाल उठाते हुए अखिलेश ने बूचड़खानों पर कार्रवाई सिर्फ उप्र में ही क्यों हो रही है? क्या महाराष्ट्र, गोवा, मध्य प्रदेश में बूचड़खाने नहीं चल रहे हैं? क्या उप्र में ही सब उल्टा हो रहा है? सदस्यता अभियान को लेकर अखिलेश ने कहा कि अगले दो महीने तक यह अभियान चलाया जाएगा, जो पूरे प्रदेश में चलेगा और उन राज्यों में भी चलेगा, जहां सपा का संगठन काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोग सदस्यता अभियान से जुड़ रहे हैं। अब लोग मिस्ड कॉल के माध्यम से भी पार्टी से आसानी से जुड़ सकते हैं।