भारत-पाकिस्तान सिंधु जल वार्ता में देरी
इस्लामाबाद | भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर वाशिंगटन में होने वाली सचिव स्तर की वार्ता में देर हो चुकी है। आधिकारिक सूत्रों ने ‘द नेशन’ से बुधवार को कहा कि यह वार्ता 11-13 अप्रैल के बीच निर्धारित थी, लेकिन अब इस वार्ता के अप्रैल के आखिरी सप्ताह में होने की उम्मीद है। बीते महीने पाकिस्तान के ऊर्जा और जल मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पुष्टि की थी कि अमेरिका के दखल के बाद अप्रैल में दो विवादित जल विद्युत परियोजनाओं के लिए पाकिस्तान और भारत के बीच वाशिंगटन में वार्ता निर्धारित की गई है। इनमें किशनगंगा जल विद्युत परियोजना (330 मेगावाट) और निर्माणाधीन रतले जल विद्युत परियोजना (850 मेगावाट) शामिल हैं।
संपर्क करने पर सिंधु जल संधि के आयुक्त आसिफ बेग ने कहा कि उन्होंने विश्व बैंक को अपना जवाब दे दिया है और अब वे भारत के जवाब के लिए उनसे संपर्क करेंगे। यह पूछे जाने पर कि बैठक क्यों स्थगित कर दी गई, उन्होंने कहा कि 11-13 अप्रैल निर्धारित तारीखें नहीं थी, यह सिर्फ प्रस्तावित तारीखें थी। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक दोनों देशों की सहमति से बैठक के लिए नई तारीखें तय करेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें नई तारीखों के बारे में नहीं पता है।
पाकिस्तान भारतीय क्षेत्र के जम्मू एवं कश्मीर में सिंधु की सहायक नदियों पर बन रही इन दो परियोजनाओं की डिजाइन और निर्माण को लेकर विरोध जता रहा है। सिंधु जल संधि पर 1960 में हस्ताक्षर किए गए। इस संधि में छह नदियां व्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चिनाब और झेलम शामिल हैं।
विश्व बैंक की मध्यस्थता में वार्ता के अनुसार, संधि में पहली तीन नदियों का पानी भारत को और बाद की तीन नदियों के पानी का इस्तेमाल करने का अधिकार पाकिस्तान को दिया गया है।
भारत ने कहा है कि संधि के तहत उसी अपने क्षेत्र में सहायक नदियों पर जल विद्युत संयंत्र स्थापित करने का अधिकार है। पाकिस्तान को डर है कि इससे उसके क्षेत्र में पानी के बहाव पर असर पड़ सकता है।