16 साल बाद, अब मेघालय में बनेगा विधानसभा का स्थायी भवन
शिलांग | मेघालय में विधानसभा भवन का निर्माण जल्द ही शुरू होगा। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। बर्मा सागवान लकड़ी से निर्मित 125 साल पुराने भवन के 16 साल पहले जलकर राख होने के बाद से ही राज्य के पास विधानसभा का स्थायी भवन नहीं है। मार्च 2001 से विधानसभा की कार्यवाही राज्य के सेंट्रल लाइब्रेरी ऑडिटोरियम में चली। इसे बाद में आर्ट एंड कल्चर ऑडिटोरियम में शिफ्ट कर दिया गया, जहां नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर ने सन् 1919 में ‘शेशेर कोबिता’ लिखना शुरू किया था।
विधानसभा अध्यक्ष अबु ताहेर मंडल की अध्यक्षता में गुरुवार को मेघालय विधानसभा की एक उच्चस्तरीय कमेटी ने भवन के निर्माण के लिए कंपनी के चयन को लेकर बैठक की। मंडल ने कहा कि नौ कंपनियों ने प्रौद्योगिकी स्टाफ की उपस्थिति में उच्चस्तरीय कमेटी के समक्ष डिजाइन पेश किया।उन्होंने कहा, “कमेटी सभी नौ डिजाइनों में से जो बेहतरीन होगी, उसका चयन करेगी और चयनित कंपनी को संरचनात्मक डिजाइन तैयार करने के साथ ही विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने को कहेगी।”
मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने कहा, “हमारा (सरकार) लक्ष्य नया विधानसभा कक्ष तथा विधानसभा सचिवालय का निर्माण शुरू करने का है और इसे 2019 तक पूरा कर देना है।” उन्होंने कहा, ” इस बात को दिमाग में रखते हुए कि शिलांग स्वतंत्रता से पूर्व तथा बाद में सत्ता का केंद्र रहा है, लोगों की आकांक्षाओं तथा राज्य की विरासत के लिए हमें विधानसभा के इमारत की जरूरत है।”
संगमा ने कहा कि प्रस्तावित विधानसभा की नई इमारत शिलांग से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मावदियंगदियांगमें न्यू शिलांग टाउनशिप में बनेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य को इस संबंध में किसी तरह का कोष देने से इनकार कर दिया है। संगमा ने कहा, “राज्य सरकार नए भवन के लिए अपने स्रोतों से धन की व्यवस्था करेगी। भवन के निर्माण में शुरुआती खर्च 70-75 करोड़ रुपये होगा।”