86 एसडीएम में 56 यादव पर बवाल तो 61 जजों में 52 सवर्ण पर चुप्पी क्यों…
लखनऊ। राष्ट्रीय निषाद संघ के सचिव चौधरी लौटन राम निषाद ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कूटरचित तरीके से मीडिया में यह खबर फैलाया कि लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सचिव अनिल यादव ने 86 एसडीएम में 56 सिर्फ यादवों को चयनित करा दिया। आरएसएस कार्यकर्ता रातों-रात लोक सेवा आयोग को यादव आयोग लिख दिया।निषाद ने अपने बयान में कहा, “गैर यादव पिछड़ी जातियों में यादवों के प्रति नफरत भड़का कर भाजपा ने इनका वोट बैंक हथिया कर सत्ता को प्राप्त कर लिया। जबकि सच्चाई यह रही कि अनिल यादव के कार्यकाल में कुल 98 एसडीएम चयनित हुए, जिसमें मात्र 14 यादव व 29 गैर यादव पिछड़ी जातियों के हुए थे। अभी 24 मार्च, 2007 को उच्च न्यायिक सेवा का परिणाम घोषित हुआ है, जिसमें 61 जजों में 52 सवर्ण चयनित हुए हैं। जबकि एक पिछड़े मुस्लिम सहित कुल नौ पिछड़े चयनित हुए हैं। क्या यह सवर्णवाद नहीं है?”
उन्होंने कहा कि जब 86 एसडीएम में 56 यादव चयनित होने का झूठा मुद्दा उठाकर बवाल मचाया गया और गैर यादव पिछड़ी जातियों में यादवों के प्रति नफरत पैदा कराई गई तो 61 जजों में 52 सिर्फ सवर्ण जाति के चयनित हुए हैं, इस पर चुप्पी क्यों साधी गई है। निषाद ने कहा, “एसडीएम चयन में व अन्य नौकरियों में सिर्फ यादवों की भर्ती का जो माहौल बनाकर गैर यादव पिछड़ी, अतिपिछड़ी जातियों में नफरत पैदा की गई और लोक सेवा आयोग के बोर्ड पर यादव सेवा आयोग लिखा गया, उत्तर प्रदेश सरकार उन नौकरियों पर श्वेत पत्र जारी करे।”
उन्होंने बताया, “माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद 1993 में मंडल कमीशन के तहत अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों को शिक्षा व सेवायोजन में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। लेकिन अभी भी इन्हें मात्र 8.6 प्रतिशत ही प्रतिनिधित्व मिल पाया है। आखिर इसका क्या कारण है? क्या केंद्र सरकार अन्य पिछड़े वर्ग के लिए बैकलॉग भर्ती शुरू कर इनका कोटा पूरा करेगी? क्या अपने को पिछड़ी जाति का बताने वाले मोदी जी ओबीसी की जनगणना रिपोर्ट उजागर करेंगे?”
निषाद ने बताया, “आईआईटी में कुल 5270 प्रोफेसर के पद निर्धारित है, जिसमें अभी तक अन्य पिछड़े वर्ग को मात्र 277 यानी 4.30 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 65 यानी 1.28 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति को मात्र 19 यानि 0.36 प्रतिशत ही प्रतिनिधत्व मिल पाया है। कमोबेश सभी केंद्रीय सेवाओं में अनुसूचित जातियों, जनजातियों व अन्य पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधित्व की यही स्थिति है।” उन्होंने कहा कि उच्च न्यायिक सेवा आयोग के तहत 61 जजों में 52 सवर्ण व नौ अन्य पिछड़े चयनित हुए हैं, लेकिन एक भी अनुसूचित जनजाति व जनजाति को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।