वीरभद्र की जमानत याचिका खारिज
नई दिल्ली | दिल्ली उच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और अन्य लोगों से जुड़े एक धनशोधन मामले में जीवन बीमा एजेंट आनंद चौहान की जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति विपिन संघी ने चौहान की जमानत याचिका को नकार दिया। चौहान जुलाई 2016 में गिरफ्तार किए जाने के बाद से न्यायिक हिरासत में है। चौहान पर वीरभद्र सिंह के भ्रष्टाचार के पांच करोड़ रुपये का एलआईसी पॉलिसी में निवेश कराने का आरोप है। यह पॉलिसी हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह सहित, उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर खरीदी गई थीं।
उन्होंने 20 अगस्त के अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जहां उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। चौहान की जमानत याचिका का विरोध करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उच्च न्यायालय में कहा कि चौहान के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और गंभीर आशंका है कि जमानत पर रिहा होने पर वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं।
ईडी द्वारा चौहान पर जांच में सहयोग नहीं करने के आरोप लगाने के बाद नौ जुलाई, 2016 को चंडीगढ़ से उसे धनशोधन निवारण अधिनियम प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था।उच्च न्यायालय द्वारा वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ एफआईआर रद्द करने से इनकार किए जाने के बाद सीबीआई ने 31 मार्च को आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर किया था।