चंडीगढ़ | पंजाब विधानसभा चुनाव में जीतकर राज्य की सत्ता में वापसी करने वाले मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर राज्य के विकास को एक बार फिर पटरी पर लाने की चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी है, जिसके लिए वह निवेशकों को लुभाने की कवायद में जुटे हैं। राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद 16 मार्च को सत्ता संभालने वाले अमरिंदर सोमवार को मुंबई रवाना होने वाले हैं, जहां पंजाब में निवेश को लेकर कई उद्योगपतियों से उनकी सीधी बात होगी।
पंजाब एक अरसे से ऋण संकट, उद्योगों के पलायन, बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रहा है और निवेशक यहां निवेश को लेकर कोई बहुत उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। इन सबके बीच अमरिंदर राज्य में निवेश जुटाने की कवायद में लगे हैं।
उन्होंने पिछले महीने पदभार संभालने के बाद कहा था, “हमारे चुनाव जीतने के पहले से ही कुछ उद्योगपतियों ने हमें आश्वस्त किया कि यदि हम (कांग्रेस) सत्ता (पंजाब की) में आते हैं तो वे निवेश के लिए तैयार हैं।”
पंजाब सरकार के सूत्रों ने बताया कि अमरिंदर और उनकी टीम रिलायंस तथा कुछ अन्य बड़े औद्योगिक घराने को लुभाने की कोशिश करेंगे। मुख्यमंत्री अपनी तीन दिवसीय मुंबई यात्रा सोमवार से शुरू करने वाले हैं। उनके साथ कुछ मंत्री तथा शीर्ष नौकरशाह होंगे। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, उनकी 10 से अधिक उद्योगों तथा उद्योगपतियों से सीधी वार्ता होगी।
बातचीत के केंद्र में विनिर्माण, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग तथा सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र होंगे। सत्ता में आने के कुछ ही दिनों के भीतर अमरिंदर ने जापानी राजदूत केंजी हिरामात्सु और मित्सुबिशी कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक काजुनोरी कोशिनिरी से मुलाकात की थी।
अडाणी समूह के अध्यक्ष और गुजरात आधारित समूह की कई प्रमुख कंपनियों के चेयरमैन प्रणव अडाणी ने पिछले सप्ताह अमरिंदर से मिलकर पंजाब में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा की थी।
सत्तारूढ़ दल के एक विधायक ने यहां आईएएनएस से कहा, “पंजाब के लिए निवेश बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र में हजारों रोजगारों के सृजन, स्मार्टफोन तथा लोगों को कई अन्य चीजें देने का वादा किया था।”
मुख्यमंत्री तथा उनकी सरकार के लिए हालांकि यह सब इतना आसान नहीं होने जा रहा है। उद्योग जगत के साथ अमरिंदर के पुराने अनुभव कोई बहुत अच्छे नहीं रहे हैं और हाल में ही में रिलीज उनकी अधिकृत जीवनी ‘द पीपुल्स महाराजा’ में उनके ही शब्दों में इसका जिक्र किया गया है। इसे खुशवंत सिंह (साहित्यिक आइकन नहीं) ने लिखा है।
लेखक ने अमरिंदर के हवाले से लिखा है, “रतन टाटा ने निवेश की प्रतिबद्धता जताई थी, लेकिन बाद में इससे पीछे हट गए। मैं रतन टाटा से इसकी उम्मीद नहीं कर रहा था, खासकर चंडीगढ़ के ताज होटल में हाथ मिलाने के बाद, जहां हम दोपहर के भोजन के लिए मिले थे।” अमरिंदर के घनिष्ठ सहयोगी व उनकी मौजूदा सरकार में प्रभावी नौकरशाह सुरेश कुमार के हवाले से पुस्तक में लिखा गया है, “टाटा बहुत की अपेक्षा कर रहे थे, जबकि बीमार राज्य इसमें सक्षम नहीं था।”
अमरिंदर ने अपने पिछले कार्यकाल (2002-2007) के दौरान पंजाब में औद्योगिक निवेश दिखाने के लिए रिलायंस के सहयोग से ‘फार्म टू फोर्क’ जैसी कुछ बड़ी परियोजनाएं चलाई थीं, लेकिन साल 2007 में शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन के सत्ता में आने के बाद यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई। अमरिंदर ने तब अकाली दल की सरकार पर जानबूझकर परियोजना को बंद करने का आरोप लगाया था।