राष्ट्रीय

96 फीसदी भारतीय चाहते हैं मोटर वाहन अधिनियम पारित हो

नई दिल्ली | अधिकांश भारतीय चाहते हैं कि वर्तमान संसद सत्र में मोटर वाहन अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित हो जाए। इस विधेयक के बारे में नागरिकों की राय जानने के लिए कंज्यूमर वॉयस द्वारा 10 राज्यों में कराए गए एक सर्वेक्षण में 96 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे चाहते हैं कि यह विधेयक पारित हो जाए। साथ ही 97 प्रतिशत ने कहा कि इस विधेयक को सभी पार्टियों का समर्थन मिलना चाहिए, क्योंकि इससे सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करने में मदद मिलेगी।
मोटर वाहन अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2016 सात अप्रैल को लोकसभा में पेश किया गया था।
अधिनियम में संशोधनों को 31 मार्च, 2017 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी, जिसमें यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना, वाहन चलाते हुए नाबालिगों के पकड़े जाने और घातक दुर्घटना करने पर उनके माता-पिता को तीन साल जेल की सजा और दुर्घटना के पीड़ितों के परिवारों के लिए मुआवजे में 10 गुणा वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया है।

कंज्यूमर वॉयस के प्रमुख संचालन अधिकारी आशिम सान्याल ने कहा, “भारत में सड़क सुरक्षा के कमजोर नियमों और खराब सड़कों के कारण हर साल हजारों लोग घायल हो जाते हैं या मारे जाते हैं। 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं में 50 फीसदी तक की कमी लाने के लिए सख्त कानून की जरूरत है।”
सान्याल ने कहा कि विधेयक में बच्चों की सुरक्षा और शराब पीकर वाहन चलाने के मामले में और स्पष्टता की जरूरत है।
सर्वे के मुताबिक, 95 प्रतिशत लोगों ने माना कि बच्चों की सुरक्षा विधेयक का एक महत्वपूर्ण मुद्दा होना चाहिए और करीब 98 प्रतिशत ने माना कि सभी दो पहिया वाहन सवारों, खासतौर पर बच्चों के लिए हेलमेट पहनने के प्रावधान को इसमें शामिल किया जाना चाहिए।
सर्वे के मुताबिक, “90 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए शराब पीकर वाहन चलाने संबंधी जांच का स्तर और सख्त होना चाहिए। इसके अलावा 87 प्रतिशत से अधिक लोगों ने सड़क के नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए ज्यादा जुर्माने की भी सिफारिश की।” फिलहाल लोकसभा में पेश किए गए विधेयक में शराब पीकर गाड़ी चलाने, तेज गति से वाहन चलाने, ट्रैफिक लाइट का उल्लंघन करने और सीट बेल्ट और हेलमेट न पहनने के लिए जेल की सजा के साथ ही कड़े दंड की सिफारिश की गई है।
इसके अनुसार, नाबालिग अपराधियों के माता-पिता को भी दोषी माना जाएगा और उन्हें तीन साल कैद की सजा दी जाए और जुर्माना लगाया जाए। इसे जरूरी करार देते हुए सांसदों की एक टीम ने सर्वे का समर्थन किया और संसद के वर्तमान बजट सत्र में विधेयक को पारित किए जाने की मांग की।

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